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धर्मेन्द्र को बाँसुरी की धुन में नचाने वाला लुंगी कुर्ता पहने हुए इस शख्स को जानकर चौक जाएंगे आप

तस्वीर में आप साफ देख रहे है कि एक शख्स हाथों में बांसुरी है और बासुरी की धुन पर हाथ मे बच्चों का डमरू वाला खिलौने के साथ देश के सुप्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र बच्चों की तरह मदमस्त होकर नाच रहें ...

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Sanjay Vishwakarma

तस्वीर में आप साफ देख रहे है कि एक शख्स हाथों में बांसुरी है और बासुरी की धुन पर हाथ मे बच्चों का डमरू वाला खिलौने के साथ देश के सुप्रसिद्ध अभिनेता धर्मेंद्र बच्चों की तरह मदमस्त होकर नाच रहें हैं, अभिनेता धर्मेंद्र को तो आपने एक ही नजर में पहचान लिया लेकिन  धर्मेंद्र से सामने जो शख्स बासुरी बजा रहा है आखिर यह कौन है जिनके सामने धर्मेंद्र जैसा स्टार नाचने को मजबूर हो गया।

कहा कि है तस्वीर

दरअसल अगर इस तस्वीर की बात करें तो यह तस्वीर किसी फ़िल्म की नही है,बल्कि यह आँखें फिल्म की शूटिंग के दौरान हँसी और मजाक के दौरान की है जब फुरसत के पलों में धर्मेंद्र मस्ती के मूड में है। लेकिन धर्मेन्द्र को बासुरी की धुन मे नचाने वाले इस शख्स को जानने में लोगो की दिलचस्पी ज्यादा है.

तस्वीर में कौन है दूसरा शख्स

इस तस्वीर को सोशल मीडिया में शेयर करके यूजर से पूछा गया है कि धर्मेन्द्र के साथ दिखने वाला यह शख्स कौन है जवाव में इन्हें यूजर ने रामानन्द सागर बताया है,दरअसल 1968 में बनी हिंदी फ़िल्म आँखें के निर्माता और निर्देशक रामानंद सागर ने किया था,इस फिल्म में धर्मेन्द्र के अलावा माला सिन्हा,महमूद,कुमकुम और सुजीत कुमार थे,इसी एकलौती फिल्म की बदौलत रामानंद सागर को उनका एकमात्र फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरुस्कार मिला था।इस फिल्म के गाने “मिलती है जिंदगी में मोहब्बत कभी कभी” आज भी लोगो के जुवा पर हैं।

किस मौके पर शेयर हुई यह तस्वीर

लुंगी और कुर्ते में बासुरी बजाते हुए रामानंद सागर के साथ धर्मेंद्र ने खुद ये तस्वीर सोशल मीडिया में शेयर की थी. धर्मेन्द्र ने फिल्म निर्माता रामानंद सागर के जन्मदिन पर उनके साथ ये तस्वीर को साझा कर फिल्म की शूटिंग के दौरान उन फुरसत के पलों की याद को है, बहुत ही कम लोग जानते है कि रामायण जैसे ऐतिहासिक सीरियल को टेलीविजन की दुनिया मे लाने वाले रामानंद सागर के साथ धर्मेन्द्र ने ‘आंखें’ (1968), ‘ललकार’ (1972), ‘चरस’ (1976) और ‘बगावत’ (1982) जैसी फेमस फिल्मे की है।

रामानंद सागर और रामायण

अब भला रामानंद सागर का नाम आए और रामायण की चर्चा न हो यह भला कैसे हो सकता है 80 और 90 के दशक में घर घर में रामायण सीरियल ने वो पैठ बनाई थी की आज भी रामायण सीरयल के पत्रों के चेहरों से ही असल राम चरित मानस के पात्रों की पहचान होती है. 80 और 90 के दशक में रामायण सीरयल देखने के दौरान दर्शक अगरबत्ती लगाकर सीरियल देखते थे. धर्म और आस्था की असल पहचान बने सीरियल रामायण के निर्माता रामानंद सागर देशवासियों के दिलों में राज करते है.

Article By Aditya

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