Lotus Seed For Diabetes: अक्सर आपने सुना होगा कि लोगों में डायबिटीज की बीमारी आमतौर पर 40-45 साल की उम्र के बाद होती थी, लेकिन आजकल बच्चों, बुजुर्गों और हर उम्र के लोगों को यह समस्या होने लगती है। यदि कोई व्यक्ति एक बार बीमार हो जाता है, तो उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या बढ़ने लगती है,, इस पर अब तक दुनिया के वैज्ञानिकों ने कोई कारगर ईलाज नहीं ईजाद कर पाए हैं. भारत में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या काफी अधिक है, इसलिए हर कीमत पर सावधान रहें।
इस फूल का बीज है मधुमेह में फायदेमंद
मधुमेह रोगियों को अपनी जीवनशैली और खान-पान का खास ख्याल रखना पड़ता है, नहीं तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है और फिर किडनी की बीमारी और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है। आइए आज जानते हैं कि वह फूल का बीज कौन सा है, जिसकी मदद से ब्लड ग्लूकोज लेवल को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
मधुमेह के रोगी के लिए कमल के फूल के बीज बहुत फायदेमंद होते हैं, जिन्हें कमल गट्टा भी कहा जाता है, यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित कर सकते हैं। मधुमेह रोगियों को हमेशा स्वस्थ भोजन खाने की सलाह दी जाती है और कमल के बीज किसी पौष्टिक आहार से कम नहीं हैं।
कमल का ही बीज क्यों है जरूरी?
कमल के बीजों में पोषक तत्वों की कोई कमी नहीं होती, इनमें विटामिन बी6, मैग्नीशियम, पोटैशियम, आयरन और प्रोटीन भरपूर मात्रा में पाया जाता है, जो मधुमेह में बहुत प्रभावी होते हैं और ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित कर सकते हैं। कमल के फूल के अंदर पाए जाने वाले बीजों का नियमित सेवन करने से उच्च रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है।
हिन्दू धर्म में कमल का है बड़ा महत्त्व
भारतीय संस्कृति में कमल के फूल को पवित्र माना जाता है और पूजा के लिए इसका उपयोग किया जाता है। इस फूल की जड़ से स्वादिष्ट सब्जी भी बनाई जाती है, जिसे लोग बड़े चाव से खाते हैं. कीचड़ में उगने वाले इन फूलों का उपयोग सजावट के लिए भी किया जाता है। मधुमेह के रोगियों को इस फूल के बीजों का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए। यदि आपके घर के आसपास कोई तालाब नहीं है तो इसे विशेष रूप से बड़े गमले में भी उगाया जा सकता है।