कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला करवाचौथ का व्रत आज बुधवार को है। अखंड सौभाग्य व सफल दांपत्य जीवन की कामना से सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखेंगी। साेलह श्रृंगार कर मां गौरी-महादेव व गणेश की आराधना करेंगी।
चंद्रदेव के दर्शन के बाद पारण
दिनभर उपवास में रहने के बाद संध्या काल में चलनी से चंद्रदेव का दर्शन करने के उपरांत पारण करेंगी। परंपरा के अनुसार चंद्रमा के दर्शन के बाद पति अपने हाथों से पत्नी को पानी पिलाते हैं ज्योतिषाचार्य के अनुसार चतुर्थी तिथि का मान रात 10.59 बजे तक है। वहीं, रात 08.10 बजे चंद्रोदय होगा। करवाचौथ के दिन श्री गणेश चतुर्थी व्रत भी है। इससे पर्व का महत्व और बढ़ जाता है। वहीं, इस पर सर्व सिद्धि योग के साथ अमृत योग का विशेष संयोग बन रहा है। पूरा दिन रहेगा।
करवा चौथ का पौराणिक महत्व
यह तिथि भगवान गणेश से संबंध रखती है। इसलिए वैवाहिक जीवन के विघ्ननाश के लिए इस व्रत को रखा जाता है इस दिन मूलतः भगवान गणेश, गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है। चंद्रमा को सामान्यतः आयु, सुख और शांति का कारक माना जाता है, इसलिए चंद्रमा की पूजा करके महिलाएं वैवाहिक जीवन में सुख शांति और पति की लम्बी आयु की कामना करती हैं।
क्यों रखती है महिलाएं करवा चौथ का व्रत
पौराणिक काल से यह मान्यता चली आ रही है कि पतिव्रता सती सावित्री के पति सत्यवान को लेने जब यमराज धरती पर आए तो सत्यवान की पत्नी ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांगने की प्रार्थना की। उसने यमराज से कहा कि वह उसके सुहाग को वापस लौटा दें। मगर यमराज ने उसकी बात नहीं मानी। इस पर सावित्री अन्न जल त्यागकर अपने पति के मृत शरीर के पास बैठकर विलाप करने लगी। काफी समय तक सावित्री के हठ को देखकर यमराज को उस पर दया आ गई। यमराज ने उससे वर मांगने को कहा। इस पर सावित्री ने कई बच्चों की मां बनने का वर मांग लिया। सावित्री पतिव्रता नारी थी और अपने पति के अलावा किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती थी तो यमराज को भी उसके आगे झुकना पड़ा और सत्यवान को जीवित कर दिया। तभी से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाएं सावित्री का अनुसरण करते हुए निर्जला व्रत करती हैं।
सिंगरौली / धर्मेन्द्र साहू