डॉ. शिवाकांत बाजपेई, एस. ए. एस. ए.एस.आई. जबलपुर सर्कल के निर्देशन में बांधवगढ़ टाईगर रिज़र्व के ताला कोर ज़ोन में अन्वेषण का दूसरा सत्र 1 अप्रैल 2023 से कई नए निष्कर्षों के साथ शुरू हुआ है, ASI की इस खोज में कई और गुफाएं और अन्य अवशेष सामने आए हैं जिनका पहले पता नहीं था। डॉ. शिवाकांत बाजपेई (Dr Shivakant Bajpai )ने बताया कि एक अप्रैल से शुरू हुए पुरातात्विक सर्वेक्षण में टीम को कई ऐतिहासिक स्ट्रक्चर मिले हैं। इनमें दो बड़े बेलनाकार स्तूप 11 गुफाएं, उनसे जुड़ी 4 वाटर बॉडी और एक चित्रित गुफा शामिल है। इस खोज से भी बौद्ध परिपथ के स्थल के रूप में उभर के रूप में उभरने की संभावना है। बौद्ध सर्किट का अहम पड़ाव सकता है। पुरातत्वविदों का कहना है कि अध्ययन के बाद ऐतिहासिकता के संबंध में स्थिति साफ होगी। एक स्तूप की ऊंचाई 15 और दूसरे की 18 फीट है। ये छठवी से आठंवी शताब्दी के बताए जा रहे है। अन्वेषण का लक्ष्य वैज्ञानिक रूप से वन रिजर्व में बिखरे पुरातात्विक अवशेषों को दस्तावेज करने की दिशा में है। डॉ. शिवाकांत बाजपेई, एस.ए.एस.ए.एस.आई. जबलपुर सर्कल के निर्देशन में अन्वेषण का दूसरा सत्र 1 अप्रैल 2023 से कई नए निष्कर्षों के साथ शुरू हुआ। इस खोज में कई और गुफाएं और अन्य अवशेष सामने आए हैं जिनका पहले पता नहीं था। अन्वेषण का लक्ष्य वैज्ञानिक रूप से वन रिजर्व में बिखरे पुरातात्विक अवशेषों को दस्तावेज करने की दिशा में है।
बताया गया कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (bandhavgarh tiger reserve)के ताला रेंज में दूसरे चरण की खुदाई के दौरान 11 गुफाएं मिली हैं। खुदाई एक अप्रैल से शुरू हुई और 30 जून तक चलेगी।
बांधवगढ़ में 2000 साल पुरानी सभ्यता के अवशेष
बांधवगढ़ नेशनल पार्क ASI में 2000 साल पुरानी आधुनिक सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। यहां रहे सर्वे में करीब 1500 साल पुरानी रॉक पेंटिंग मिली है।
करीब दो हजार साल पुराना जल स्त्रोत
ASI के सर्वे में करीब दो हजार पुराना एक जल स्त्रोत भी टीम को मिला है।जल श्रोत का मिलना इस बात का संकेत है कि उस समय भी आधुनिक सभ्यता इस क्षेत्र में मौजूद थी।
व्यापारिक मार्ग का हिस्सा था बांधवगढ़
ASI के इस नए सत्र में हुए सर्वे में मिले नए मिले अवशेषों से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि उस जमाने में बांधवगढ़ (bandhavgarh ) एक ट्रेड रूट का हिस्सा था। इस मार्ग से गुजरने वाले व्यापारी संभवतः यहां रुकते थे।मिली गुफाओं और जल संरचनाओ से स्पष्ट हो रहा है कि प्राचीन समय में बांधवगढ़ उत्तर से दक्षिण को जोड़ने वाले एक अहम व्यवसायिक रूट के रूप में मायने रखता था,यहाँ से सामानांतर मार्ग कौशाम्बी में जाकरमुख्य रूट से जुड़ता है
काफी ऊंचाई पर बना है जल स्त्रोत
बांधवगढ़ नेशनल पार्क में कई मानव निर्मित जल स्त्रोत भी मिल चुके हैं। हालिया सर्वे जो जल स्त्रोत मिला है, वह 1800 से 2000 साल पुराना बताया जा रहा है. यह ऊंचाई वाली जगह पर मौजूद है. इसका इस्तेमाल संभवतः वर्षा जल को जमा करने के लिए किया जाता था। यह संकेत भी मिले हैं कि करीब एक हजार साल पहले इस जल स्त्रोत की मरम्मत भी की गई है.
बांधवगढ़ में मिले दो विशाल बौद्ध स्तूप
खोज के दौरान एएसआई टीम को दो विशाल बौद्ध स्तूप मिले, चित्रित चट्टान-कटी गुफाएं, एक चट्टान-कटी पानी की टंकी, और गुफा जैसे अन्य अवशेष मिले हैं.बौद्ध स्तूप एक गोले टीले के आकार की संरचना है जिनका उपयोग बौद्ध अवशेषों को रखने में किया जाता था.ये बौद्ध प्रार्थना के स्थल भी होते थे.
पहली बार मिली रॉक पेंटिंग
ASI की टीम को बांधवगढ़ टाईगर रिसर्व (Bandhavgarh Tiger Resrve) में रॉक पेंटिंग शैलकृत गुफा में मिली है, इस पेंटिंग को खास इसलिए माना जा रहा है क्योकि ऐसी कलाकृतियां प्राकृतिक गुफाओं में मिलती हैं। एएसआई के सुप्रिंटेंडेंट इंजीनियर शिवाकांत वाजपेयी ने बताया कि बांधवगढ़ के इलाके में पहली बार रॉक पेंटिंग मिली है। इसमें संभवतः किसी वन्यजीव को दर्शाया गया है। फिलहाल इसका अध्ययन किया जा रहा है।
ASI के पिछले साल के सर्वे ने बटोरी थीं सुर्खिया
लगभग एक वर्ष पूर्व एएसआई ने पिछले साल मई-जून में भी इस इलाके में सर्वे किया था.उस सर्वे के दौरान 26 प्राचीन मंदिर, 46 मूर्तियां, 26 शैल गुफाएं, दो बौद्ध स्तूप और 19 जल स्त्रोत मिले थे।
पहले से अलग हैं अभी मिली गुफाएं
पिछले साल सर्वे में मिली गुफाएं बौद्ध शैली की थीं। अभी जो गुफाएँ मिली है वो शैलकृत हैं। इन्हें शायद रहने के उद्देश्य से बनाया गया था।