पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने नीमच जिले में दौरे के दौरान एक नई शुरुआत करी उन्होंने कांग्रेस पार्टी के अंदर बगावत को खत्म करने के लिए कांग्रेस नेताओं से निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ने की शपथ दिलवाई क्योंकि चुनाव में कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान यदि होता रहा है तो वह है पार्टी से बगावत। इस बगावत का बड़ा खामियाजा कांग्रेस ने पिछली बार विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर भुगता था। लेकिन अब 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी की शुरुआत ही कांग्रेस ने बगावत रोकने के अनोखे प्लान को अमल में लाकर दर्शाई है। चुनाव में संभावित बगावत को थामने का तरीका भी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने निकाला है. प्रदेश में इसकी शुरुआत नीमच जिले के जावद से की गई है।
दरअसल कांग्रेस उन सीटों पर खास फोकस कर रही है. जहां लगातार 3 बार विधानसभा चुनाव में उसे हार मिली थी। दिग्विजय सिंह ने अपने दौरे की शुरुआत नीमच जिले के विधानसभा क्षेत्र क्र. 230 जावद से की। यहां उन्होंने ब्लॉक, मंडल, सेक्टर और बीएलए कार्यकर्ताओं की बैठक ली। इस सीट पर लगभग तीन चुनाव में कांग्रेस को अपने ही नाराज नेता की बगावत का खामियाजा भुगतना पड़ा है। लगातार तीन चुनाव जीतकर ओमप्रकाश सकलेचा यहां से विधायक हैं और वर्तमान में मप्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं।
बैठक में दिग्विजय सिंह ने कार्यकर्ताओं की मंशा भापकर यहां से विधानसभा की दावेदारी जता रहे सत्यनारायण पाटीदार और राजकुमार अहीर को मंच पर बुलाया और दो टूक कहा कि वे सबके सामने कसम खाकर एलान करें कि टिकिट किसी को भी मिले। वे निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ेंगे. इतना कहते ही कार्यकर्ताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से इस पहल का स्वागत किया इसके बाद मंच पर मौजूद दिग्विजयसिंह, वरिष्ठ नेता रामेश्वर निखरा, जिला प्रभारी नूरी खान की मौजूदगी में सत्यनारायण पाटीदार और राजकुमार ने मंच पर आकर अपने अपने इष्टदेव और परिजनों की कसमें खाई और बाकायदा एलान किया कि कांग्रेस किसी को भी उम्मीदवार बनाए, वे निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ेंगे, बल्कि उम्मीदवार को जिताने में जी-जान लगा देंगे।
दावेदारों के ऐलान के बाद कार्यकर्ताओं में जबदस्त उत्साह भी देखने को मिला। अब दिग्विजय सिंह का यह प्रयोग कितना कारगर साबित होता है इसका अंदाजा तो अगले विधानसभा चुनाव के परिणामों से ही पता चलेगा।