25.1bhopal

---Advertisement---

Imd forecast MP : कड़ाके की ठण्ड के साथ-साथ इन जिलों में होगी बारिश बिजली के हैं आसार देखिए लिस्ट 

Imd forecast MP : मध्य प्रदेश मेंमौसम की बदलती परिस्थितियों के आधार परमौसम केंद्र भोपाल के द्वारा अगले 24 घंटे के लिएप्रदेश के दर्जनों जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है.मौसम केंद्र भोपाल के द्वाराकई जिलों मेंकोहरे के ...

Photo of author

Sanjay Vishwakarma

Sanjay Vishwakarma

Updated on:

Imd forecast MP : कड़ाके की ठण्ड के साथ-साथ इन जिलों में होगी बारिश बिजली के हैं आसार देखिए लिस्ट 

Imd forecast MP : मध्य प्रदेश मेंमौसम की बदलती परिस्थितियों के आधार परमौसम केंद्र भोपाल के द्वारा अगले 24 घंटे के लिएप्रदेश के दर्जनों जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है.मौसम केंद्र भोपाल के द्वाराकई जिलों मेंकोहरे के साथ-साथ वज्रपात और झंझावात तो कुछ जिलों में कोहरे की संभावना जताई गई है.यदि आप कहीं जाने का प्लान कर रहे हैंया फिर लॉन्ग जर्नी का प्लान कर रहे हैंतो आपको अगले 24 घंटे के लिएमौसम के इस अपडेट को देखना बहुत जरूरी है 

पिछले 24 घंटे कैसा रहा मौसम

पिछले 24 घंटो के दौरान प्रदेश के सभी संभागों के जिलों में मौसम मुख्यतः शुष्क रहा।अधिकतम तापमान उज्जैन, जबलपुर संभागों के जिलों में काफी बढ़े: भोपाल, नर्मदापुरम संभागों के जिलों में विशेषरूय बढ़े एवं शेष सभी संभागों के जिलों के तापमानों में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। वे भोपाल, इंदौर, उज्जैन, रीवा, शहडोल संभागों के जिलों में सामान्य से कम रहे एवं शेष सभी संभागों के जिलों में सामान्य रहे।

न्यूनतम तापमान जबलपुर संभाग के जिलों में काफी बढ़े: भोपाल, इंदौर एवं उच्जैन संभागों के जिलों में विशेषरूप बढ़े एवं शेष सभी संभागों के जिलों के तापमानों में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। वे इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर एवं रीवा संभागों के जिलों में सामान्य से अधिक रहे एवं शेष सभी संभागों के जिलों में सामान्य रहे।

प्रदेश के भिंड, मुरैना, दतिया, ग्वालियर, शिवपुरी, रीवा, छतरपुर, सतना जिलों में घना कोहरा छाया रहा: सिंगरौली, सीधी, मउगंज, पत्रा, टीकमगढ़, श्योपुर, कटनी, दमोह जिलों में मध्यम कोहरा छाया रहा।प्रदेश में न्यूनतम दृश्यता शून्य मीटर ग्वालियर एयरपोर्ट में दर्ज की गयी।

Imd forecast MP : कड़ाके की ठण्ड के साथ-साथ इन जिलों में होगी बारिश बिजली के हैं आसार देखिए लिस्ट 

सिनोष्टिक मौसमी परिस्थितियां –

  • वर्तमान में पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी पाकिस्तान के ऊपर माध्य समुद्र तल से 3.1 किमी की उंचाई पर एक चक्रवातीय परिसंचरण के रूप में मध्योपरी क्षोभमंडल स्तरों में ट्रफ़ के साथ लगभग 65° पूर्वी देशांतर से 25° उत्तरी अक्षांश के उत्तर में सक्रिय है।
  • पंजाब और संलग्न पाकिस्तान के ऊपर माध्य समुद्र तल से 1.5 किमी की ऊंचाई पर चक्रवातीय परिसंचरण सक्रिय है।
  • दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान और निकटवर्ती क्षेत्रों के ऊपर माध्य समुद्र तल से 1.5 किमी की ऊंचाई पर चक्रवातीय परिसंचरण स्थित है।
  • उत्तर भारत के ऊपर माध्य समुद्र तल से 12.6 किमी की ऊंचाई पर 287 किमी प्रति घंटा की गति से उपोष्ण जेट स्ट्रीम हवाएँ बह रही है।
  • दिनांक 18 जनवरी से अगले पश्चिमी विक्षोभ द्वारा पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र को प्रभावित करने की संभावना है।

इन जिलों के लिए जारी किया गया बारिस और कोहरे का Yellow Alert

  • मध्यम कोहरा / वज्रपात / झंझावात – शिवपुरी, ग्वालियर, दतिया, भिंड, मुरैना, श्योपुरकलां जिलों में।
  • वज्रपात / झंझावात – मंदसौर, नीमच जिलों में।
  • मध्यम कोहरा – छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी जिलों में।
  • हल्का से मध्यम कोहरा – सिंगरौली, सीधी, रीवा, मऊगंज, सतना, मैहर जिलों में।

रखें ये सावधानियां

  • लम्बे समय तक शीत के सम्पर्क में रहने से मस्तिष्क को गंभीर क्षति हो सकती है इस अवस्था को हाइपोथर्मिया कहा जाता है। इसके कारण शरीर में गर्मी के हास से कंपकपी, बोलने में दिक्कत्मनिदा, मांसपेशियों में अकडन्, सांस लेने में दिक्कत/निश्वेतन की अवस्था हो सकती है। ऐसी अवस्था में तत्काल चिकित्सीय सहायता ले।
  • ठंड के मौसम में आपकी त्वचा, हाथ-पैरों की अंगुलियों में रक्त वाहिकाएँ संकरी हो जाती है, इसलिए कम गर्मी के कारण हृदय गति बढ़ जाती है और हृदय के लिए आपके सरीर में रक्त पंप करना कठिन हो जाता है। इसलिए ठण्ड में बाहर कम समय बिताएँ।
  • शीत लहर के संपर्क में आने पर शीत से प्रभावित अंगों के लक्षणों जैसे कि संवेदनशून्यता, सफ़ेद अथवा पीले पड़े हाथ एवं पैरों की उंगलियों, कान की तौ तथा नाक की ऊपरी सतह का आन रखे।
  • शीत लहर के अत्यधिक प्रभाव से त्वचा पीली, सख्त एवं संवेदनशून्य तथा लाल फफोले पड़ सकते है। यह एक गंभीर स्थिति होती है जिसे गैंगरीन भी कहा जाता है। यह अपरिवर्तनीय होती है। अतः शीत लहर के पहले लक्षण पर ही चिकित्सक की सलाह से तथा तब तक अंगों को गरम करने का प्रयास करे।
  • शरीर की गर्माहट बनाये रखने हेतु अपने सर, गर्दन, हाथ और पैर की उँगलियों को अच्छे से ढंके एवं पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े जैसे दस्ताने, टोपी, मफलर, एवं जल रोधी जूते आदि पहने। शीत तहर के समय जितना
  • संभव हो सके घर के अंदर ही रहें और कोशिश करें कि अतिआवश्यक हो तो ही बाहर यात्रा करें।
  • इस समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाती है, जैसे- फ्लू, सर्दी, खांसी एवं जुकाम आदि के लक्षण हो जाने पर चिकित्सक से संपर्क करें।
  • पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करें एवं शरीर की प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं एवं नियमित रूप से अर्म पेय पदार्थ का अवश्य सेवन करें।
  • कोहरे में मौजूद कण पदार्थ और विभिन्न प्रकार के प्रदूषक के संपर्क में आने पर फेफड़ों की कार्यक्षमता कम होने, खांसी और सांस की समस्या बढ़ने की संभावना है. अतः नियमित व्यायाम करे व मास्क का प्रयोग करें।
  • वाहन को धीमी या औसत गति पर चलायें, अगली वाली गाड़ी से पर्याप्त दूरी बनाये रखे एवं फॉग लैंप का इस्तेमाल करे।
  • मौसम की जानकारी तथा आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का सूक्ष्मता से पालन करे एवं शासकीय एजेंसियों की सलाह के अनुसार कार्य करे।

कृषकों के लिए विशेष सलाह 

  • गेहू एवं सरसों में सिचाई को स्थगित करें ताकि फसल गिरने से बचे, रोगों को रोकने के लिए अनुशंसित फफूंदनाशकों का छिड़काव करें।
  • चने के पौधों को सहारा देने के लिए बांस का उपयोग करें, फफूंद संक्रमण रोकने के लिए सुरक्षात्मक फफूंदनाशकों का छिड़काव करें।
  • यदि फसलें परिपक्कता के करीब हैं, तो जल्दी कटाई करें ताकि नुकसान को कम किया जा सके।
  • ओलावृष्टि के बाद नियमित रूप से खेतों का निरीक्षण करें, नुकसान का आकलन करें और समय पर सुधारात्मक उपाय करें। ऑर्किड/बागवानी फसलों जैसे संतरा, जामुन्, फूल, सब्जियां आदि में हेलनेट का उपयोग करें।
  • शीत लहर के दौरान प्रकाश और लगातार सिंचाई प्रदान करे। स्प्रिंकलर सिंचाई से शीत लहर के प्रभाव को कम करने में सहायता मिलेगी।
  • शीत लहर के दौरान पौधों के मुख्य तने के पास मिट्टी को काली या चमकीली प्लास्टिक शीट, घास फूस या सरकंडे की घास से ढंके। यह विकिरण अवशोषित कर मिट्टी को ठंडी में भी गर्म बनायें रखता है • गेहूं की फसल में क्राउन रूट स्टेज (20-22 DAS) पर पहली सिंबाई करें तथा सरसों और चना में 35 से 40 DAS पर खेत में पर्याप्त नमी के लिए सिंचाई करें। पहली सिंचाई के बाद गेहूं की फसल में टॉप इंसिग के रूप में यूरिया के रूप में अनुशंसित नाइट्रोजन उर्वरक की 1/3 मात्रा दें।
  • कम तापमान के पूर्वानुमान के कारण रबी की फसलों में पाला पड़ने की संभावना है। इसलिए फसलों को पाले से बचाने के लिए रात में स्प्रिंकलर से हल्की सिंचाई करें.

 

Sanjay Vishwakarma

संजय विश्वकर्मा (Sanjay Vishwakarma) 41 वर्ष के हैं। वर्तमान में देश के जाने माने मीडिया संस्थान में सेवा दे रहे हैं। उनसे servicesinsight@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। वह वाइल्ड लाइफ,बिजनेस और पॉलिटिकल में लम्बे दशकों का अनुभव रखते हैं। वह उमरिया, मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने Dr. C.V. Raman University जर्नलिज्म और मास कम्यूनिकेशन में BJMC की डिग्री ली है।

error: NWSERVICES Content is protected !!