Shorts Videos WebStories search

GI Tag MP : एमपी ने लहराया परचम जानिए किस किस जिले के किन उत्पादों को मिला जीआई टैग

Content Writer

whatsapp

GI Tag MP : मध्यप्रदेश का सुप्रसिद्ध शरबती गेंहू अब देश की बौद्धिक संपदा में सम्मिलित हो गया है। कृषि उत्पाद श्रेणी में शरबती गेंहू सहित रीवा के सुंदरजा आम को हाल ही में जीआई रजिस्ट्री द्वारा पंजीकृत किया गया है। खाद्य सामग्री श्रेणी में मुरैना गजक ने जीआई टैग प्राप्त किया है। हस्तशिल्प श्रेणी में जबलपुर के पत्थर शिल्प, प्रदेश की गोंड पेंटिंग, ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन, डिंडोरी के लोहशिल्प, वारासिवनी की हैंडलूम साड़ी तथा उज्जैन के बटिक प्रिंट्स को भी जीआई टैग प्राप्त हुआ है। शरबती गेंहू सीहोर और विदिशा जिलों में उगाई जाने वाली गेंहू की एक क्षेत्रीय किस्म है जिसके दानों में सुनहरी चमक होती है। इस गेंहू की चपाती में फाइबर, प्रोटीन और विटामिन बी और ई प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। शरबती गेंहू को आवेदन क्रमांक 699 के संदर्भ में जीआई टैग जारी किया गया है।

जबलपुर का पत्थरशिल्प भेड़ाघाट में मिलने वाले संगमरमर पर केंद्रित है। इस हस्तशिल्प में भगवान की मूर्तियां, नक्काशीदार पैनल, सजावटी वस्तुएं और बर्तन बनाए जाते हैं। इस हस्तशिल्प का निर्यात मुख्यत फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और अमरीका में किया जाता है। इसे आवेदन क्रमांक 710 के संदर्भ में पंजीकृत किया गया है।

 डिंडोरी के अगरिया समुदाय के लोहशिल्प को आवेदन क्रमांक 697 के संदर्भ में जीआई टैग प्राप्त हुआ है। इस शिल्प में लोहे को गरम कर और पीट- पीटकर वांछित मोटाई और आकार के पारंपरिक औजार और सजावटी वस्तुएं बनाई जाती हैं। बालाघाट के वारासिवनी में बनने वाली हैंडलूम साड़ीयों को आवेदन क्रमांक 709 के संदर्भ में जीआई टैग प्राप्त हुआ है। धारियों और चैक के जटिल पैटर्न में बनाए जाने वाली ये हल्की और महीन साड़ीयां अपनी सादगी की लिए जानी जाती हैं। सोलह हाथ की साड़ी सर्वाधिक लोकप्रिय है जिसमें प्रत्येक ताना धागा 16 बाना धागों पर बुनाया जाता है। रीवा का सुंदरजा आम अपनी अनूठी सुगंध और स्वाद के लिए राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता है। कम चीनी और अधिक विटामिन ई की वजह से यह आम मधुमेह रोगियों के लिए भी हितकारी होता है। सुंदरजा आम को आवेदन क्रमांक 707 के संदर्भ में जीआई टैग प्राप्त हुआ है।

 मुरैना की गजक को आवेदन क्रमांक 681 के संदर्भ में जीआई टैग जारी किया गया है। गुड़ या चीनी और तिल के मिश्रण से बनी इस पारंपरिक मिठाई का 100 वर्षों से अधिक का इतिहास रहा है। जीआई आवेदन क्रमांक 701 के संदर्भ में मध्य प्रदेश की गोंड पेंटिंग को पंजीकृत किया गया है। मानव के प्रकृति के साथ जुड़ाव दर्शाने वाली इस जनजातीय चित्रकला की प्रथा गोंड जनजाति में प्रचलित है जिसे विभिन्न उत्सवों और अवसरों पर बनाया जाता है। ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन को जीआई आवेदन क्रमांक 708 के संदर्भ में पंजीकृत किया गया है। इस कालीन बुनाई में चमकीले रंगों का उपयोग कर पशु, पक्षी और जंगल के दृश्यों का रूपांकन किया जाता है। ये कालीन ऊनी, सूती और रेशम आधारित होते हैं। उज्जैन की प्राचीनतम कला बटीक प्रिंट को आवेदन क्रमांक 700 के संदर्भ में जीआई टैग प्राप्त हुआ है। बटिक शिल्पकार डाई की प्रक्रिया में मोम का प्रयोग कर कलात्मक पैटर्न और मोटिफ बनाते हैं। सुंदरजा आम और मुरैना गजक को दिनांक 31 जनवरी 2023 को जीआई प्रमाणपत्र जारी किया गया है। शरबती गेंहू और गोंड पेंटिग के जीआई प्रमाणपत्र दिनांक 22 फरवरी 2023 को जारी किया गये हैं। डिंडोरी की लोहशिल्प, उज्जैन के बटिक प्रिंट्स, ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन, वारासिवनी की हैंडलूम साड़ी और जबलपुर के पत्थर शिल्प के प्रमाणपत्र दिनांक 31 मार्च 2023 को जारी किए गए हैं। प्रदेश की आदिवासी गुड़िया, पिथोरा पेंटिंग, काष्ठ मुखौटा, ढ़क्कन वाली टोकरी, और चिकारा वाद्य यंत्र के जीआई आवेदन विचाराधीन हैं।

हमें बेहद उम्मीद है की खबर आपको पसंद आई होगी। इस खबर को अपने दोस्तों और परिवारजनों सहित व्हाट्सएप ग्रुप में शेयर करें।

Featured News जबलपुर
Content Writer

संजय विश्वकर्मा खबरीलाल न्यूज़ पोर्टल हिंदी में कंटेंट राइटर हैं। वे स्टॉक मार्केट,टेलीकॉम, बैंकिंग,इन्सुरेंस, पर्सनल फाइनेंस,सहित वाइल्ड लाइफ से जुड़ी खबरें लिखते हैं।संजय को डिजिटल जर्नलिज्म में 8 वर्ष का अनुभव है।आप संजय से 09425184353 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
error: RNVLive Content is protected !!