MP में लौट आई ठण्ड मौसम विभाग ने इन 6 जिलों में स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट रहने दिए निर्देश
IMD Alert : लगभग 1 सप्ताह तक सामान्य मौसम रहने के बाद में एक बार फिर से मौसम का मिजाज बदल गया है। हवाएं सर्द हो चुकी हैं और दिन में भी ठिठुरन भरी सर्दी पड़ने लगी है। बदलती हुई मौसम के साथ-साथ मौसम केंद्र के द्वारा भी आगामी 24 घंटे के लिए मौसम का अलर्ट जारी किया गया है।
प्रातः 08:30 बजे के प्रेक्षण पर आधारित मौसम सारांश- पिछले 24 घंटो के दौरान प्रदेश के सभी संभागों के जिलों में मौसम मुख्यतः शुष्क रहा। शहडोल में शीत लहर का प्रभाव रहा।अधिकतम तापमानों में सभी संभागों के जिलों में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। सभी संभागों के जिलों में सामान्य रहे।
न्यूनतम तापमानों में सभी संभागों के जिलों में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। वे शहडोल संभाग के जिलों में सामान्य से काफी कम रहे: भोपाल, रीवा संभागों के जिलों में सामान्य से कम रहे; इंदौर संभाग के जिलों में सामान्य से अधिक रहे एवं शेष सभी संभागों के जिलों में सामान्य रहे।
शीत प्रभाव वाले जिले (न्यूनतम तापमान 8 डिग्री से कम तथा अधिकतम तापमान 22 डिग्री से कम)
शहडोल, उमरिया, सिंगरौत्ती, सीधी, रीवा, मऊगंज।
उपर्युक्त जिलों में प्रशासन के लिए सुझाव-
- छोटे बच्चों के विद्यालयों में शीत आधारित अवकाश का निर्णय लिया जा सकता है।
- प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में शीत जनित रोगियों के उपचार की विशेष व्यवस्था की जा सकती है।
इन जगहों पर जारी है ठण्ड का कहर
न्यूनतम तापमान 12 डिग्री से कम कल्याणपुर (शहडोल) 2.8, उमरिया 4.8, देवरा (सिंगरौली) 5.3, राजगढ़ 5.6, गिरवर (शाजापुर) 6, मंडला 6. चित्रकूट (सतना) 6.2, ग्वालियर 6.3, नौगाँव (छतरपुर) 6.6, सतना 7, खजुराहो (छतरपुर) 7, मरुखेड़ा (नीमच) 7.2, जबलपुर 7.4, सीहोर 7.6, पचमढ़ी (नर्मदापुरम) 7.8, रायसेन 8, रीवा 8, टीकमगढ़ 8.2, गुना 8.2, भोपाल 8.3, सीधी 8.6, दमोह 8.6, पृथ्वीपुर (निवाड़ी) 8.9, मलाजखंड (बालाघाट) 9, शिवपुरी 9.7, रतलाम 10.5, अमरकंटक (अनूपपुर) 11.2. उज्जैन 11.2, धार 11.3, सागर 11.3. छिंदवाड़ा 11.4, सिवनी 121
MP में लौट आई ठण्ड मौसम विभाग ने इन 6 जिलों में स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट रहने दिए निर्देश
सुझाये गए कार्य –
- लम्बे समय तक शीत के सम्पर्क में रहने से मस्तिष्क को गंभीर क्षति हो सकती है इस अवस्था को हाइपोथर्मिया कहा जाता है। इसके कारण शरीर में गमों के हास से कंपकपी, बोलने में दिक्कत, अनिद्रा मांसपेशियों में अकडन, सांस लेने में दिक्कत/निश्वेतन की अवस्था हो सकती है। ऐसी अवस्था में तत्काल चिकित्सीय सहायता ते।
- ठंड के मौसम में आपकी त्वचा, हाथ-पैरों की अंगुलियों में रक्त वाहिकाएँ संकरी हो जाती है. इसलिए कम गर्मी के कारण हृदय गति बढ़ जाती है और हृदय के लिए आपके शरीर में रक्त पंप करना कठिन हो जाता है। इसलिए ठण्ड में बाहर कम समय बिताएँ।
- शीत लहर के संपर्क में आने पर शीत से प्रभावित अंगों के लक्षणों जैसे कि संवेदनशून्यता, सफ़ेद अथवा पीले पड़े हाथ एवं पैरों की उंगलियों, कान की सौ तथा नाक की ऊपरी सतह का ध्यान रखें।
- शीत लहर के अत्यधिक प्रभाव से त्वचा पीली, सख्त एवं संवेदनशून्य तथा लाल फफोले पड़ सकते है। यह एक गंभीर स्थिति होती है जिसे गैंगरीन भी कहा जाता है। यह अपरिवर्तनीय होती है। अतः गीत लहर के पहले लक्षण पर ही चिकित्सक की सलाह से तथा तब तक अंगों को गरम करने का प्रयास करें।
- शरीर की गर्माहट बनाये रखने हेतु अपने सर, गर्दन, हाथ और पैर की उँगलियों को अच्छे से ढंके एवं पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े जैसे दस्ताने, टोपी, मफलर, एवं जल रोधी जूते आदि पहने। शीत लहर के समय जितना संभव हो सके घर के अंदर ही रहें और कोशिश करें कि अतिआवश्यक हो तो ही बाहर यात्रा करें।
- इस समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाती है, जैसे- फ्लू, सर्दी, खांसी एवं जुकाम आदि के लक्षण हो जाने पर चिकित्सक से संपर्क करें।
- पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से पुक्त भोजन ग्रहण करें एवं शरीर की प्रतिरक्ष बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं एवं नियमित रूप से गर्म पेय पदार्थ का अवश्य सेवन करें।
- कोहरे में मौजूद कण पदार्थ और विभिन्न प्रकार के प्रदूषक के संपर्क में आने पर फेफड़ों की कार्यक्षमता कम होने, खांसी और सांस की सम् मा बढ़ने की संभावना है. आहेः नियमित व्यायाम करे व मास्क का प्रयोग करे।
- वाहन को धीमी या औसत गति पर बलाये, अगली वाली गाड़ी से पर्याप्त दूरी बनाये रखे एवं फॉग लैप का इस्तेमाल करे।
- मौसम की जानकारी तथा आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का सूक्ष्मता से पालन करे एवं शासकीय एजेंसियों की सलाह के अनुसार कार्य करें।
कृषकों के लिए विशेष सलाह
- चने की फसल फूलने की अवस्था में है, इस समय फली बनने के दौरान फली भेदक कीट का प्रकोप हो सकता है। अतः किसानों को फसलों पर नजर बनाए रखने की सलाह दी जाती है। तीसरी सिंचाई बालियां निकलने की अवस्था (50-55 दिन बाद बुवाई में करें, चौथी सिंचाई फूल आने की अवस्था (65-70 दिन बाद बुवाई में करें। नैनों यूरिया 1.25 लीटर/ हेक्टेंपर छिड़कें। फल्ली बनने की 50% अवस्था में दूसरी सिंचाई करें। बिना सिंचाई वाले चने की फसल में 2% डीएपी घोल का छिड़काव करें। कैप्सूल बनने और भरने की अवस्था (60-65 दिन बाद दुबई में दूसरी सिंचाई करें।
- आसपास का वातावरण गर्म रखने के लिए खेतों की मेड़ों पर घास और सूखी पुआल जलाएं।
- किसानों को सलाह दी जाती है कि खरीफ के अनाज/बीज को 10-12% नमी स्तर पर सुखाकर संग्रहित करें।
- बुवाई के बाद मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए सही तरीके से पाटा चलाएं।
- समय पर बोई गई सरसों, चना और मटर की फसलों में कीट और रोग के प्रकोप पर नजर रखें।
- सब्जियों में निराई-गुड़ाई करें और खरपतवार को हटाएं ।
- 15-25 दिन पुरानी फसल में बचे हुए उर्वरक की मात्रा का प्रयोग करें।
- सरसों, मूली और सेम में माहू का प्रकोप बढ़ने की संभावना है, इसलिए किसानों को फसल पर विशेष नजर रखने की सलाह दी जाती है.