Haathi Mahotsav: उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथी महोत्सव शुरू हो गया है, जिसके तहत उनके लिए तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं और हाथियों का स्वागत किया जाता है. इस बीच पार्क प्रबंधन ने उनसे कोई काम नहीं लिया और उन्हें अपने परिवार से मिलने का मौका भी दिया है.
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1 अक्टूबर से पर्यटन चालू होने के पूर्व बांधवगढ टाईगर रिज़र्व में हाथियों की खातिरदारी का 7 दिवसीय महोत्सव हाथी महोत्सव ( Haathi Mahotsav ) शुरू हो गया है. सात दिवसीय इस आयोजन में हाथियों की विशेष सेवा की जाती है. इस दौरान उन्हें नहलाने-धुलाने, तेल-मालिश करने से लेकर विशेष व्यंजन खिलाए जाते हैं. इन 7 दिनों में हाथियों के पूरे शरीर का चिकित्सकीय परीक्षण भी कराया जाता है. पार्क प्रबंधन से लेकर पूरे जिले के लोग इस महोत्सव में हाथियों को देखने के लिए आते हैं.
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अगले 7 दिन चलेगी हाथियों की पिकनिक
उमरिया के बांधवगढ टाइगर रिज़र्व में आज गुरुवार से सात दिवसीय हाथी महोत्सव की शुरुआत की गई है. इस आयोजन में बांधवगढ में मौजूद 12 विभागीय हाथियों की विशेष सेवा कर उन्हें आगामी पर्यटन सत्र के लिए रिफ्रेश किया जा रहा है।
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2014 से मनाया जा रहा है हाथी महोत्सव
बता दें ये हाथी वर्ष भर बांधवगढ में वन्य जीवों के रेस्क्यू, वन एवं वन्य जीवों के सरंक्षण में विशेष योगदान देते हैं. जिसके कारण पार्क प्रबंधन बीते वर्ष 2014 हाथी महोत्सव का आयोजन कर इन्हें सात दिवसीय विश्राम देता है और इस दौरान इनसे रेस्क्यू या सरंक्षण का कोई कार्य नहीं लिया जाता है.
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परोसे जांएगे मनपसंद व्यंजन
हाथी उत्सव के दौरान, महावत सुबह-सुबह हाथियों को नहलाते हैं, जिसके बाद उनकी तेल से मालिश की जाती है और उनके पैरों के घावों का इलाज किया जाता है। फिर उनके माथे पर चंदन लगाकर उनकी पूजा की जाती है और उन्हें उनके पसंदीदा खाद्य पदार्थ जैसे गुड़, गन्ना, केला, सेब, नारियल आदि खिलाए जाते हैं।
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साल भर में मिलते है परिवार से
हाथी महोत्सव के दौरान विभागीय हाथियों को परिवार से मिलने के लिए दिया जाता है,आपको बता दें कि हाथी महोत्सव का आयोजन कर पार्क प्रबंधन हाथियों को उनके परिवार से मिलने जुलने और संसर्ग स्थापित करने का सभी समय देता है. हाथी महोत्सव का आनंद लेने पूरे जिले से लोग पंहुचते हैं और हाथियों की पूजा अर्चना कर उन्हें अपने हाथों से व्यंजन खिलाते हैं.
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अपने काम मे है इन्हें महारत हासिल
बांधवगढ में वर्तमान में नर मादा एवं बच्चे मिलाकर कुल 12 हाथी हैं, जिसमे गौतम नामक हाथी की उम्र सबसे ज्यादा 74 वर्ष की है. बांधवगढ में वन्य जीवों के सरंक्षण में जितना प्रबंधन काम करता है उतना ही ये हाथी हाथ बंटाते हैं. मुश्किल से मुश्किल जगहों पहाड़ों, खोह नदी नालों में फंसे वन्य जीवों को रेस्क्यू करने में इन हाथियों को महारत हासिल है और यही वजह है कि बांधवगढ में वन्य जीवों का सरंक्षण दुनिया भर में प्रसिद्ध है.
ये हाथी मालिक हैं
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रामा को रखा गया है पूरी जमात से अलग
बांधवगढ़ टाईगर रिज़र्व में आज 12 हाथियो की आवभगत के लिए इन्तेजाम तो कर दिए गए है लेकिन रामा हाथी को पूरी जमात से अलग रखा गया है रामा वही हाथी है जिसने अनूपपुर के चचाई में 3 लोगो को मौत के घाट उतारा था साथ ही 2 भैस भी रामा के हाथों मारी गई थी,रामा काफी लड़ाकू है इसलिए बाकी 11 हाथियों से अगल रामा रखा गया है और तैयार किया जा रहा है। 11 हाथियों को एकसाथ देख रामा ने मन ही मन बड़ी लड़ाई लड़ने का मन भी बना लिया होगा। लेकिन रामा भले ही जमात से अलग रखा गया है लेकिन किसी भी रेस्क्यू कार्यक्रम में रामा अन्य विभागीय हाथियों से दो कदम आगे है,इसलिए रामा बांधवगढ़ प्रबंधन की आखों का तारा भी बना हुआ है।
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इस बार 14 की जगह 12 हाथी
बांधवगढ़ में है कुल 14 विभागीय हाथी
बांधवगढ़ में वर्तमान में नर, मादा और बच्चों को मिलाकर कुल 14 हाथी हैं,गौतम,रामा,अष्टम,अनारकली,लक्ष्मण, पूनम,सूर्या,बाँधवी,गायत्री,श्याम,गणेश,सुन्दरगज,जिनमें सबसे उम्रदराज़ हाथी गौतम 74 साल का है। वही लक्ष्मी की हाल ही में एक जंगली हाथी के द्वारा चोट पहुचाने के द्वारा मौत हो गई है, वही रेस्क्यू कार्य के लिए काजल को 2 माह के लिए कूनो पार्क भेजी गई है।
बांधवगढ़ में ये हाथी वन्यजीव संरक्षण के साथ-साथ प्रबंधन में भी मदद करते हैं। ये हाथी पहाड़ों, गुफाओं, नदियों और नहरों में कठिन स्थानों में फंसे जंगली जानवरों को बचाने में माहिर हैं और यही कारण है कि बांधवगढ़ में वन्यजीव संरक्षण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।