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बांधवगढ़ में हुआ बाघिन का रेस्क्यू वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स ने बताया बाघिन के रहवासी ईलाके में आने का यह बड़ा कारण 

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बांधवगढ़ में हुआ बाघिन का रेस्क्यू वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स ने बताया बाघिन के रहवासी ईलाके में आने का यह बड़ा कारण 
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विश्व प्रसिद्ध बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघों की अधिक संख्या पूरे विश्व के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। मध्य प्रदेश में मौजूद सभी टाइगर रिजर्व में सबसे अधिक बाघों का घनत्व बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में है।बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बफर और कोर जोन में बसे हुए कई गांव में बाघों की मूवमेंट भी कभी-कभार ज्यादा बन जाती है।

ऐसा ही एक मामला बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के धमोखर रेंज के बड़वाह गांव मैं देखा गया जहां बाघिन की मूवमेंट लगातार देखी गई। बाघिन जहां खेती किसानी के कार्य कर रहे किसानों के बीच पहुंच जाती थी। वही गांव मैं बाघिन की लगातार मूवमेंट मैं किसने की नाक में दम करके रखा हुआ था। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का प्रबंधन एक ओर जहां बाघों के संरक्षण संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है वही कोर और बफर जोन में बसने वाले ग्रामीणों की सुरक्षा भी प्रबंधन की प्रथम वरीयता में है।

लगातार गांव में बाघिन की आवाजाही की सूचना मिलने के कारण बांधवगढ़ टाईगर रिज़र्व प्रबंधन के द्वारा उच्च अधिकारियों को इसकी सूचना दिए जाने और अनुमति प्राप्त होने के बाद बाघिन को  बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के धमोखर रेंज के बड़वाह गांव से एक मादा बाघिन को रेस्क्यू किया गया, जो विगत कई दिनों से गांव की बस्ती, खेतों ओर घरों के समीप रह रही थी और मवेशियों को गांव के अंदर शिकार बना रही थी।

ग्रामीणों के खतरे को देखते हुए उपसंचालक पी के वर्मा की उपस्थिति और निर्देशन में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डॉक्टर नितिन गुप्ता और संजय गांधी टाइगर रिजर्व के डॉक्टर अभय सेंगर और टीम द्वारा 2 हाथियों और अन्य वाहनों की सहायता से रेस्क्यू कार्य किया गया और बाघिन को जंगल में अन्यत्र छोड़ दिया गया।

इस ऑपरेशन में एसडीओ धमोखर श्री बी.एस. उप्पल, RO धमोखर श्री विजय शंकर श्रीवास्तव, RO पतौर श्री अर्पित मैराल ओर रेस्क्यू टीम उपस्थित रही।

वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जब कोई बाघ या बाघिन जन्म लेती है तो वह अपनी मां के साथ में दो से ढाई साल तक रहकर टेरिटरी बनाने के साथ-साथ शिकार के कुशल गुण भी सिखाती है। जब कोई बाघ या बाघिन शावक 2 साल की पहले ही अपनी मां से अलग हो जाता है ऐसे में टेरिटरी बनाना सीखने के साथ-साथ वन्यजीवों का शिकार करने में भी ठीक तरीके से कुशल नहीं हो पता है। यही कारण है कि ऐसे बाघ शावक सॉफ्ट टारगेट की तलाश में गांव की नजदीक आ जाते हैं जहां वे आसानी से चौपायों का शिकार कर पाते हैं।

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Bandhavgarh National Park Bandhavgarh Tiger Reserve
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संजय विश्वकर्मा खबरीलाल न्यूज़ पोर्टल हिंदी में कंटेंट राइटर हैं। वे स्टॉक मार्केट,टेलीकॉम, बैंकिंग,इन्सुरेंस, पर्सनल फाइनेंस,सहित वाइल्ड लाइफ से जुड़ी खबरें लिखते हैं।संजय को डिजिटल जर्नलिज्म में 8 वर्ष का अनुभव है।आप संजय से 09425184353 पर सम्पर्क कर सकते हैं।
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