उमरिया जिले के सामान्य वन मण्डल के पाली वनपरिक्षेत्र के मंगठार बीट में एक मृत बाघ का शव मिला है। बाघ की मौत जैसे संवेदनशील मामले में अधिकारियों की प्रथक-प्रथक बयानबाजी के साथ साथ सामान्य वनमंडल में आपसी संघर्ष बताया जन चर्चा का विषय बन चुका है।
दरअसल पाली वनपरिक्षेत्र का मंगठार बीट एक ऐसा स्थान है जहाँ अगर तेंदुए की दस्तक भी हो जाए तो चर्चा का कारण बन जाती है। लेकिन बाघों के बीच आपसी संघर्ष हो ऐसा न न तो क्षेत्रीय लोग मान रहे हैं और ना ही सीसीएफ शहडोल। सीसीएएफ शहडोल का कहना है कि सामान्य वन मंडल में बहू के ऑफिस संघर्ष की संभावना बहुत ही कम है।
इसके इतर वन परिक्षेत्र अधिकारी सचिन कांत सहित एसडीओ दिगेंद्र सिंह पटेल का मामना है कि दो बाघों के बीच आपसी संघर्ष हुआ है। जिसके निशान मृत बाघ के शरीर मे मौजूद है। लेकिन वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट्स के द्वारा मृत बाघ की फ़ोटो देखकर फौरी तौर पर यह मामना है कि बाघ की मौत आपसी संघर्ष से होना प्रतीत नही होती। क्योंकि बाघ का शव पूर्णरूपेण सकुशल दिख रहा है।
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स का कहना है कि बाघ की मौत या तो जहर खुरानी से हुई है या फिर मौत का कारण कंरट हो सकता है। अक्सर सुदूर क्षेत्र में जंगली सुअर के शिकार के लिए बिजली का कंरट आदि लगाए जाने की घटनाएं छुटपुट होती रहती है।
फिलहाल पाली वनपरिक्षेत्र का मंगठार बीट के घाटा टोला में 4 से 5 वर्षीय इस मृत का का पीएम 1 जुलाई की सुबह NTCA के प्रतिनिधि की मौजूदगी में वन्यप्राणी चिकित्सकों के दल के दौरा किया जाएगा।
कैसे मिला मृत बाघ वन परिक्षेत्र अधिकारी सचिन कांत का कहना है कि एक ग्रामीण के द्वारा सूचना दी गई थी कि उसका बैल लापता है। ऐसी सूचना के आधार पर स्टाफ के द्वारा जंगल में जाकर देखा गया तो मृत अवस्था मे एक बाघ पड़ा मिला उसी के पास बैल भी मिला जिसे टाईगर के द्वारा खाया गया है। सम्भवतः दो बाघों के बीच उक्त शिकार को लेकर आपसी संघर्ष हुआ है। मृत बाघ के शरीर मे केनाइन और खरोच के भी निशान है।
बाघ की मौत जहर खुरानी से हुई है या आपसी संघर्ष से फिलहाल यह तो क्लियर हो पाना संभव नही है। क्योंकि जिनके ऊपर जंगल की जिम्मेदारी है उनके पास ही घटना के कारण बताने का अधिकार है।