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डीएवी स्कूल मामले पर नोटिस तक सिमटी जिला शिक्षाधिकारी की कार्यवाही

कटनी जिले की बरही तहसील क्षेत्र में संचालित डीएवी स्कूल के सीबीएसई से मान्यता प्राप्त न होने तथा इसकी जानकारी विद्यालय प्रबंधन द्वारा अभिभावकों से छिपाए जाने संबंधी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर कटनी अवि प्रसाद के निर्देश ...

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Sanjay Vishwakarma

कटनी जिले की बरही तहसील क्षेत्र में संचालित डीएवी स्कूल के सीबीएसई से मान्यता प्राप्त न होने तथा इसकी जानकारी विद्यालय प्रबंधन द्वारा अभिभावकों से छिपाए जाने संबंधी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर कटनी अवि प्रसाद के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी पीपी सिंह द्वारा बड़वारा विकासखण्ड अधिकारी से जांच की गई थी जांच में शिकायत सही पाई गई डीएवी स्कूल प्रबंधन की गलती पाए जाने पर कारण बताओ नोटिस जारी कर कड़ी कार्यवाही कि सिर्फ चेतावनी दे दी गई

अभिभावकों का आरोप था कि बरही में संचालित डीएवी स्कूल में प्रवेश के दौरान अभिभावकों को स्कूल के सीबीएसई से मान्यता प्राप्त होने की जानकारी थी लेकिन ऐन परीक्षा से कुछ समय पूर्व उन्हें अचानक इसके मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड से संबंधित होने की जानकारी प्राप्त हुई। जिस पर अभिभावकों द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई थी । और कलेक्टर को लिखित शिकायत की गई थी जिसको संज्ञान लेते हुए कलेक्टर अवि प्रसाद द्वारा इसकी जांच करने के निर्देश जिला शिक्षा अधिकारी को दिए थे।

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जांच एजेंसी द्वारा की गई जांच में शिकायत सही पाई गई। डीएवी स्कूल संचालक अभिभावकों को धोखे में रखा और बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया । हला कि जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा 13 मार्च 2023 को डीएवी स्कूल बरही के संचालक/ प्राचार्य को कारण बताओ नोटिस जारी कर 3 दिवस में स्पष्टीकरण मांगा गया था। जवाब उपरांत स्कूल संचालक और प्राचार्य को भविष्य में ऐसी गलती का दोहराव न हो अन्यथा संस्था के विरुद्ध सख्त कार्यवाही किए जाने की सिर्फ चेतावनी दी गई। साथ ही अभिवावकों से सामंजस्य स्थापित कर, उन्हें समय सीमा से पूर्व जानकारी देने और पाठ्यक्रम अनुरूप परीक्षा लिए जाने संबंधित निर्देश दिए गए

गौरतलब है कि जब अभिभावकों कि शिकायत में सच्चाई पाई गई तो कारण बताओ नोटिस जारी करना समझ से परे है इसके अलावा नोटिस में अभिभावकों के बीच जो सामंजस्य स्थापित करने कि जो बात कही गई वो भी आश्चर्य चकित कर देने वाली बात है नोटिस देकर मामले को ठंडे बस्ते में रखने जैसा प्रतीत हो रहा है

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दरअसल अभिभावकों ने शिकायती पत्र में एवं मीडिया से बात करते हुए एक और आरोप लगाया गया था कि विद्यालय द्वारा हम अभिभावकों से मनमाना फीस याने कि सीबीएसई बोर्ड के लेबल से ली गई है इस पर विभाग द्वारा क्यो ध्यानाकर्षण नही किया गया कमसे कम अभिभावकों कि फीस वापस ही करवा देना था यदि नियम अनुसार फीस नही लिया गया तो इस सम्बंध में तो कार्यवाही होना चाहिए अब देखना यह बाकी होगा क्या डीएवी स्कूल संचालक द्वारा अभिभावकों कि फीस वापस किया जाता है या नही

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वही मान्यता मापदंड पर भी सवाल उठ रहे हैं जानकारी के मुताबिक विद्यालय कि जो बिल्डिंग है वो एक घर जैसे है और एक घर जैसी बिल्डिंग में विद्यालय संचालित हो रहा है जिसमे न तो प्राकृतिक वातावरण हवा प्रकाश कि उचित व्यवस्था है और ना ही खेल मैदान आदि कि व्यवस्था है उक्त विद्यालय मान्यता के मापदंडों को फॉलो नही करता है इसके बाद भी शिक्षा विभाग मान्यता प्राप्त होना विभाग पर विभिन्न प्रश चिन्ह खड़े कर रहे हैं सर्व प्रथम इस मामले कि भी जांच होना चाहिए क्योंकि किराए कि बिल्डिंग में स्कूल संचालित और बस में jpv dav कटनी लिखवाकर संचालक द्वारा क्षेत्रजनो को भृमित किया जा रहा है जिला इस्तरीय जांच टीम गठित कर इन सभी बिंदुओ पर यदि जांच हो तो और भी खुलासे हो सकते हैं बरही में डीएवी स्कूल के अलावा और भी अशासकीय विद्यालय चल रहे हैं प्रदेश में बैठे मुखिया मामा के भांजे एवं भांजियों का सवाल है एक तरफ से अशासकीय विद्यालयो कि जांच होने योग्य है दरअसल जिला के एक्टिव कलेक्टर से यह आशा है कि वो जरूर छात्र हित मे बड़ा कदम उठाएंगे

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