मध्य प्रदेश के आदिवासी जिले उमरिया में आदिवासियों को चारागाह समझने वाले कुछ धन्ना सेठों के द्वारा जिला प्रशासन की आंखों में धूल झोककर अवार्ड पारित करवाए गए थे.लेकिन कहते हैं ना कि सच को छुपाया जा सकता है लेकिन एक समय के बाद सच खुद ब खुद सामने आ ही जाता है.आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जिस मामले में लभग 56 वर्ष पूर्व अवार्ड पारित होने के बाद मुआवजा प्राप्त कर लिया गया था.उस जमीन पर कूटरचना के बाद दोबारा एक बड़े लमसम मुआवजे की जुगत में कुछ लोग लग गए हैं. और यही नहीं जमीन का टुकड़ा ऐसा की लगभग 56 वर्ष पहले भी अवार्ड पारित होने के बाद भी जमीन शासन के उपयोग में नहीं आई थी और अब भी जब अवार्ड पारित हो चुका है तब भी जमीन ऐसी की शासन के उपयोग में नहीं आएगी और उसी जमीन पर बड़े बिजनेस प्लान की तैयारी चल रही है.
जांच करा कर करेंगे वैधानिक कार्यवाही – कमिश्नर
बीते एक सप्ताह से नगर के गली और चौक चौराहा सहित प्रशासनिक गलियों में चर्चा का विषय बना यह विषय अब जिले के संवेदनशील कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन सहित संभाग के संवेदनशील आयुक्त बी एस जामोद तक पहुंच चुका है. राष्ट्रीय राजमार्ग 43 उमरिया खास में हाल ही में हुए अवार्ड पारित की अब जांच कराई जाएगी इसकी जानकारी संभाग के संवेदनशील संभाग आयुक्त बी एस जामोद ने दी दरअसल NH 43 फर्जी मुआवजा से जुड़ा यह पूरा मामला बेहद गंभीर और तमाम सवालों को लेकर खड़ा हुआ है सूत्र बताते हैं अगर पूरे मामले की उच्च स्तरीय एवं सही जांच और इसकी रिपोर्ट सामने आती है तो न सिर्फ शासन के करोड़ों रुपयों का बंदरबाट करने बल्कि प्रशासनिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिली भगत भी सामने आ जाएगी आपको बता दें कि NH43 मुआवजा वितरण में गंभीर अनियमिताओं ,पक्षपात एवं धन्नासेठ को लाभ पहुंचाने की शिकायत भी जिला प्रशासन तक पहुंच चुकी है. वही 6 जून को जिले के दौरे पर आए हुए संभाग के संवेदनशील संभाग आयुक्त बीएस जामोद को जब मीडिया के माध्यम से यह जानकारी लगी है तो उन्होंने इस मामले में त्वरित जांच करवाकर कार्रवाई की बात कही है.