वाइल्ड लाइफ

बाँधवगढ़ के फैमिली डॉक्टर का हुआ तबादला प्रदेश के अधिकारी फूक-फूक कर उठा रहे कदम

    RNVLive

विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भारत ही नहीं पूरे विश्व के वन्य जीव प्रेमियों के बीच में अपनी अधिक बाघों की संख्या कारण चर्चा का विषय बना रहता है। लेकिन अक्टूबर 2024 की 29 तारीख से लगातार बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व एक विशेष मामले में सुर्खियों में बना हुआ है।

दरअसल 10 जंगली हाथियों की रहस्यमई मौत के बाद प्रदेश में विपक्ष भी मुखर हो चला है। ऐसे में मौत के कारणों की वजह तलाशने के साथ-साथ प्रदेश सरकार यह भी साबित करना चाहती है कि वह वन्य जीवों की सुरक्षा के साथ-साथ इस मामले पर काफी गंभीर भी है। यही कारण है कि बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व की प्रशासनिक ओवरहालिंग का मन तो बना लिया गया है। लेकिन इसे एग्जीक्यूट करने में प्रदेश सरकार के पसीने छूट रहे हैं।

19 नवंबर की देर शाम सोशल मीडिया में बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ नितिन गुप्ता का तबादला महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर मुकुंदपुर सतना किए जाने और उसी स्थान से वन्य प्राणी स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर राजेश तोमर को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व तबादला किए जाने की खबर ने फील्ड डायरेक्टर बांधवगढ़ एवं एसडीओ के ऊपर हुई कार्रवाई के बाद चर्चा का विषय बन गई।

क्यों इतने लंबे अंतराल तक बाँधवगढ़ में पदस्थ थे डॉ नितिन गुप्ता

वन्य प्राणी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ नितिन गुप्ता के बारे में बताया जा रहा है कि बीते 12 -13 वर्षों से वह लगातार बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पदस्थ थे। बताया तो यह भी जा रहा है की डॉक्टर नितिन गुप्ता की पहली जॉइनिंग भी बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में ही हुई थी। इतने लंबे समय तक एक ही जगह पर विभाग का वन्य प्राणी स्वास्थ्य अधिकारियों को रखने के पीछे का तर्क आपसे जुड़ा हुआ है।दरअसल जैसे आपके फैमिली का कोई न कोई डॉक्टर होगा ही वैसे ही वन्य प्राणी स्वास्थ्य अधिकारी लंबे समय तक जब किसी स्थान पर रहते हैं ऐसे में उन्हें उक्त लोकेशन के सभी वन्यजीवों और वन्य प्राणियों के स्वास्थ्य की जानकारी अमूमन हो ही जाती है। वन्य प्राणी अपनी बात को डॉक्टर तक तो नहीं रख पाते हैं लेकिन उक्त लोकेशन की परिस्थितियों को देखते हुए डॉक्टर भी वन्य जीवों और वन प्राणियों से जुड़ जाते हैं। किसी भी टाइगर रिजर्व में वन्य प्राणी स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं विभागीय हाथी और उनका स्वास्थ्य, वैसे तो यह ट्रांसफर नीति में नहीं है लेकिन व्यावहारिक तौर पर देखा जाए तो लंबे समय तक एक ही जगह पर रहने पर वन्य प्राणी स्वास्थ्य अधिकारी एक- एक विभागीय हाथियों के स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की जानकारी हो जाते हैं। यही कारण है कि कान्हा टाइगर रिजर्व में भी बीते 24 – 25 सालों से वन्य प्राणी स्वास्थ्य अधिकारी का तबादला नहीं हुआ है। इसके साथ ही प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में भी ऐसे कई उदाहरण भी है।

फूक-फूक कर प्रदेश के अधिकारी रख रहे है कदम

बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई इस अनहोनी के बाद में प्रशासनिक सर्जरी करने के लिए प्रदेश सरकार के आदेश पर प्रदेश के अधिकारियों ने कमर तो कस ली है लेकिन ट्रांसफर नीति उनके इस आदेश की तामीली में बाधा बन रही है। यही कारण है कि प्रदेश के वन विभाग के आला अधिकारी वाइल्डलाइफ एक्ट और ट्रांसफर नीति की जानकारी रखने वाले प्रदेश के नामी गिरामी अधिवक्ताओं के संपर्क में भी हैं और उनसे लगातार सलाह ले रहे हैं।

दो बड़े अधिकारियों पर प्रशासनिक गाज गिरने के बाद और वन्य प्राणी स्वास्थ्य अधिकारी का तबादला होने के बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अन्य प्रशासनिक अधिकारी अब यह मानकर चल रहे हैं कि उन्हें भी बहुत जल्द बांधवगढ़ से विदाई दे दी जाएगी। हालांकि अपने फैसले पर अगर प्रदेश सरकार जल्द से जल्द फैसला लेगी तो बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पदस्थ अधिकारी या फिर आने वाले अधिकारी वन्य प्राणियों की सुरक्षा स्वास्थ्य पर पूरे मनोयोग से काम कर पाएंगे।

Sanjay Vishwakarma

संजय विश्वकर्मा (Sanjay Vishwakarma) 41 वर्ष के हैं। वर्तमान में देश के जाने माने मीडिया संस्थान में सेवा दे रहे हैं। उनसे servicesinsight@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। वह वाइल्ड लाइफ,बिजनेस और पॉलिटिकल में लम्बे दशकों का अनुभव रखते हैं। वह उमरिया, मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने Dr. C.V. Raman University जर्नलिज्म और मास कम्यूनिकेशन में BJMC की डिग्री ली है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker