भोपाल के वन विहार में बाघ छोटा भीम की मौत की खबर आ रही है। मिली जानकारी के अनुसार बाघ छोटा भीम को आज हार्ट अटैक आया है और हार्ट अटैक आने के बाद में बाघ छोटा भीम को नहीं बचाया जा सका है। बाघ छोटा भीम बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का एक डोमिनेंट टाइगर था। बाकी मौत की खबर जैसे ही पूरे उमरिया में जंगल की आज की तरह फैली है वन्य जीव प्रेमियों के बीच में मायूसी छा गई है।
गले में लगा मिला था फंदा
गौरतलब है कि विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ टाइगर रिजर्व में 29 नवंबर 2024 को खितौली कोर जोन में बाघ छोटा भीम 26 नवंबर 2024 को ढमदमा नाला के पास गले में तार का फंदा लगा हुआ के द्वारा देखा गया था। 26 नवंबर से लेकर के लगातार 29 नवंबर की देर शाम तक बाघ छोटा भीम का बांधवगढ़ प्रबंधन रेस्क्यू कर पाया था। और 30 नवंबर की सुबह बाघ छोटा भीम भोपाल के वन विहार पहुंच चुका था। बीते दो माह तीन दिनों से लगातार भाग छोटा भीम का इलाज भोपाल की वन विहार में चल रहा था।
कन्जेस्टिव हार्ट फेलियर बना मौत का कारण
आज दिनांक 02.02.2025 को वन्यजीव नर बाघ छोटा भीम, जो उपचार हेतु बाँधवगढ़ टाईगर रिजर्व, उमरिया से दिनांक 30.11.2024 को घायल अवस्था में लाया गया था, उपचार के दौरान बाघ की मृत्यु कन्जेस्टिव हार्ट फेलियर के कारण वन विहार राष्ट्रीय उद्यान एवं जू भोपाल में प्रकाश में आयी। जिस पर एन टी सी ए. नई दिल्ली एवं कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) मध्य प्रदेश, भोपाल के जारी दिशा-निर्देश अनुरूप कार्यवाही की गई।
पोस्टमार्टम वन्यजीव चिकित्सक (1) डॉ अतुल गुप्ता (2) डॉ प्रशांत देशमुख (3) डॉ हमजा नदीम फारुकी तथा (4) डॉ रजत कुलकर्णी के द्वारा किया गया। वन्यजीव बाघ छोटा भीम के सभी अंग सुरक्षित पाए गए। निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार शवदाह भस्मीकरण की कार्यवाही श्री राजेश खरे, मुख्य वन संरक्षक, भोपाल, श्रीमती गीतांजलि अय्यर, आई एफ. एस. संदेश माहेश्वरी, सहायक संचालक वन विहार, उपरोक्त लिखित सभी वन्यजीव विशेषज्ञ, श्री पी.पी सिंह, श्री अजय शर्मा, डिप्टी कलेक्टर व अन्य की उपस्थिति में की गई। उपरोक्त समस्त कार्यवाही की फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी की गई है।
2 महीने के बाद भी पकड़े नहीं जा सके आरोपी
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली कोर ज़ोन में बाघ छोटा भीम के गले में तार का फंदा लगा हुआ मिला था। इस बात को प्रबंधन ने भी माना था की शिकार की मंशा से यह फंदा लगाया गया था जिसमें बाघ फस गया था। लेकिन 2 महीने गुजर जाने के बाद भी आज तक प्रबंधन उन शिकारी तक नहीं पहुंच पाया है। अगर शिकारी समय से नहीं पकड़े जाएंगे तो निश्चित रूप से ऐसे लोगों के हौसले बुलंद होंगे और वे बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को अपनी शिकार स्थली बनाने में नहीं चूकेंगे।