आज दिनांक 2 मई सुबह 11बजे ग्राम कोठिया और कुशमाहा के नजदीक कक्ष RF 428, बीट पनपथा, रेंज पतौर से बाघिन का रेस्क्यू किया गया है।अप्रैल माह में दो बार कोठिया और कुशमाहा ग्राम में घुसकर एक वनकर्मी समेत 3 लोगों को घायल करना और अस्वस्थ प्रतीत होने पर यह रेस्क्यू किया गया है।
बाघिन के रेस्क्यू के बाद बांधवगढ़ में ही इनक्लोजर में बाघिन को शिफ्ट किया गया है।जहां उसका नियमित स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा।
क्षेत्र संचालक BTR, सहायक संचालक पनपथा, वन्यप्राणी स्वास्थ्य अधिकारी बांधवगढ़ ओर संजय टाइगर रिजर्व, रेंजर पतौर, रेंजर पनपथा कोर, रेस्क्यू टीम, तीन हाथी (सूर्या, लक्ष्मण ओर गणेश) ओर अन्य फील्ड स्टाफ की मौजूदगी में यह रेस्क्यू हुआ है।
क्यों हुआ रेस्क्यू :
गौरतलब है कि बाघिन के द्वारा एक ही दिन में कुशमाहा निवासी दो ग्रामीणों पर हमले किए जाने के बाद ग्रामीणों ने पनपथा बैरियर को जाम कर दिया था। हालांकि प्रबंधन के द्वारा बाघिन को हाथियों की मदद से उसे लोकेशन से खदेड़ दिया गया था। ग्रामीण इस मांग पर अड़े हुए थे की बाघिन को उसे स्थान से हटकर के कहीं और शिफ्ट किया जाए।स्थानीय ग्रामीणों की मांग को देखते हुए प्रबंधन बाघिन को शिफ्ट करने की परमिशन पीसीसी वाइल्डलाइफ से मांगने के साथ-साथ बाघिन को लगातार 2 से 3 दिन तक ट्रैक करने में जुटा हुआ था। ट्रैकिंग के दौरान बांधवगढ़ टाईगर रिज़र्व के RF 428, बीट पनपथा, रेंज पतौर में 28 अप्रैल की सुबह पैदल सामूहिक गस्त के दौरान बाघिन ने एक वनकर्मी पर हमला कर दिया था। बाघिन में 2 ग्रामीणों सहित एक कर्मचारी को एक माह के भीतर घायल किया था।
क्या रेक्सयू एकमात्र विकल्प
उक्त मामले में जब फील्ड डायरेक्टर बांधवगढ़ टाईगर रिज़र्व अनुपम सहाय से बात की गई तो उनका कहना है कि किसी क्षेत्र से जब कोई बाघ या बाघिन का रेस्क्यू कर लिया जाता है,तो वह क्षेत्र बहुत जल्द किसी दूसरे बाघ का टेरिटरी बन जाता है।ऐसे में रेस्क्यू इस समस्या का समाधान नही है।कोर क्षेत्र में ग्रामीणों को दखल देने से बचना चाहिए।इन दिनों महुआ बीनने वाले जंगल में कोर क्षेत्र में प्रवेश करते है।इस कारण भी घटनाएँ बढ़ी है।