IIT Mumbai pass out Abhay Singh in Bandhavgarh : महाकुंभ 2025 में फेसम हुए मुम्बई IIT से पास आउट हुए अभय सिंह ने देश-विदेश में काफी सुर्खियां बटोरी,वही मुम्बई आई आई टी से पास आउट एक और छात्र ने मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ टाईगर रिज़र्व क्षेत्र के बफर जोन में बसे एक गाँव की तस्वीर बीते 2 वर्षो में बदल कर रख दी है। जहाँ कभी बंजर जमीन हुआ करती थी अब वहाँ घना जंगल हो चुका है।2 वर्षो में हुए इस बदलाव पर अब देश के 2 छात्र शोध भी करने का रहे हैं।
आर श्रीनिवास देश विदेश की कंपनी में कर चुके हैं काम
आंध्रप्रदेश के गुंटूर के रहने वाले आर श्रीनिवास ने बताया कि वर्ष 1987 में मुम्बई आईआईटी से केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट होने के बाद श्रीनिवास ने रिलायंस,एस्सार आयल में महत्वपूर्ण पदों पर काम करने के बाद नाइजीरिया में बड़ी रिफाइनरी में डायरेक्टर बिजिनेस स्ट्रैटजी के रूप में काम करने के बाद कोरोना काल मे देश लौटने के बाद बांधवगढ टाईगर रिज़र्व में लगभग 12 एकड़ में आर श्रीनिवास किसानों को कृषि की स्थाई तकनीकी बता रहे है।
रहते हैं ईको फ्रेंडली घर
आईआईटीयन श्रीनिवास ने कंटेपरेरी वर्नाकुलर आर्किटेक्ट पर ईको फ्रेंडली घर भी बनाए है।जहां मल मूत्र को रीसाइक्लिंग के द्वारा खाद के रूप में उपयोग में लिया जा रहा है।बिना एसी और कूलर के बांस की मदद से ऐसे कमरे बनाए गए है जहां गर्मियों ठंडक और ठंड के दिनों में गर्मी रहती है।
ईको फ्रेंडली घर के आसपास बनी रही है टाइगर मूवमेंट
आर श्रीनिवास बताते है कि हमारे पास यहां 30 एकड़ जमीन है लेकिन अभी हमने 12 एकड़ में जंगल तैयार किया है।इस जंगल में अब 60 से ज्यादा प्रकार के बर्ड्स आ रहे है वही बाघ,लेपर्ड, हिरण, मोर जैसे कई वाइल्ड एनिमल्स की मूमवेन्ट भी बन चुकी है।जंगल मे हमने तालाब भी बनाए है ताकि वन्यजीव पानी पी सकें।
शोध करने के लिए आ रहे हैं शोधार्थी
2 वर्षो में बंजर जमीन पर हो रही हाइटेक खेती और ईको फ्रेंडली घरों पर शोध करने के लिए मोनिका तिवारी नाम की छात्रा यहां 2 वर्षो में हुए बदलाव का अध्ययन करने के लिए आ रहीं है। और डॉ योगिता शुक्ला भी यहां की सेटेलाइट इमेज में 2 वर्षो में हुए बदलाव का अध्ययन करने आ रही है।श्रीनिवास बताते है कि 27 हजार लीटर का बायो फर्टिलाइजर प्लांट बनाया गया है।इसमें गौमूत्र और गोबर के माध्यम से बने हुए खाद से यहां खेती की जाती है।
एग्रीकल्चर पर रिसर्च चल रहा है काम
ग्राम गजरहा के ही रहने वाले वीरेन्द्र तिवारी बताते है कि मैंने सर को यहां काम करते हुए देखा।श्रीनिवास सर नेचर को बदलने के लिए यहां काम कर रहे हैं।यह काम देखकर मैं यहां जुड़ गया।रोजगार के लिए पहले यहां एग्रीकल्चर पर रिसर्च चल रहा था।उसके आधार पर गाँव के लोगो को रोजगार मिल रहा था।रोजगार हमेशा मिले इस लिए यहां भैस का तबेला बनाया गया है। साथ ही सोया मिल्क से बने प्रोडक्ट को बनाकर रोजगार के अवसर उत्पन्न किए जा रहे है।
ऑर्गेनिक खेती बन रही आकर्षण का केंद्र
ग्राम गजरहा के धनपत विश्वकर्मा ने बताया कि यहां काम करते हुए हमें नेचर के साथ जुड़ने का मौका मिला।हमने यहां ऑर्गेनिक खेती करना सीखा है।मिट्टी और बांस के घर बनाने के टेक्निक भी हमने सीखी है।सर के साथ रखकर हमने जंगल को सेव करने के साथ साथ ऑर्गेनिक खेती के लिए खाद बनाने भी सीखा है।हमें जंगल मे पेड़ को काटने के लिए जाते थे लेकिन अब हमें इन पेड़ों से अपने बच्चों जैसा प्यार हो गया है।
बंजर जमीन को कर दिया हरा भरा
बांधवगढ टाईगर रिज़र्व के डिप्टी डायरेक्टर प्रकाश कुमार वर्मा ने बताया कि बांधवगढ़ टाईगर रिज़र्व के पतौर कोर क्षेत्र पास लगे हुए बफर जोन के ग्राम गजरहा में आईआईटीयन आर श्रीनिवास ने अपनी नौकरी छोड़कर वन,वन्यप्राणियों के साथ साथ गाँववालो के लिए अच्छी पहल की है।श्रीनिवास वन को बढ़ावा देने के साथ साथ खेती की नई तकनीक से भी ग्रामीणों को प्रशिक्षित कर रहे है।बजर जमीन में कम पानी की फसल के साथ साथ बिना रासायनिक खाद के खेती करने की तकनीकी सिखा रहे हैं।इनके द्वारा बायो फर्टिलाइजर प्लांट भी बनाया गया है।बंजर जमीन को वन में कम समय मे परिवर्तित किया गया है। इस विषय पर शोध भी होने वाले है।