Hight Court Order : कभी-कभी किसी की गलती दूसरे को भुगतनी पड़ती है यह तो आपने सुना होगा लेकिन अगर किसी अधिकारी की गलती सामने आए और उसे भुगतने के लिए पूरा प्रदेश के अधिकारियों को आदेश जारी हो जाए ऐसा मामला मध्य प्रदेश से भोपाल से आया।
दरअसल मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार पालीवाल की युगलपीठ के द्वारा एक ऐसा देश जारी किया गया है जिसकी चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है इस आदेश में भोपाल के गोविंदपुर संभाग के तहसीलदार दिलीप कुमार चौरसिया की संपत्ति जाचने के लिए लोकायुक्त को आदेश दे दिया गया है। यही नहीं कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए यह भी कहा है कि तहसीलदार के खिलाफ विभागय जांच भी हो और 3 महीने के अंदर इसकी रिपोर्ट हमारे सामने पेश की जाए।
क्या था पूरा मामला
मामला पूरा भोपाल का है जहां भोपाल के पारस नगर के रहने वाले मोहम्मद अनीस और उनकी पत्नी नसीम के द्वारा इक्विटल स्मॉल फाइनेंस बैंक से अपने घर को गिरवी रख करके कुछ लोन लिया गया था। बैंक ने जब EMI भरने की बात कही तो उक्त दंपति के द्वारा साफ-साफ मना कर दिया गया था कि वह किसी भी तरह की कोई भी रिकवरी जमा नहीं करेंगे। पैसों की लेनदेन का यह मामला जब एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट साउथ भोपाल के पास पहुंचा तो कुछ महीनो की सुनवाई के बाद में बैंक के पक्ष में फैसला आया और आदेश में कहा गया की कब्ज़ा बैंक को दिल दिया जाए और संपत्ति बैंक को सौंप दी जाए। यह आदेश तहसीलदार के नाम पर 23 जुलाई 2024 को हो गया था। आदेश मिलने के बाद भी गोविंदपुरा तहसीलदार दिलीप कुमार चौरसिया टालमटोल करते रहे और उन्होंने ना तो पुलिस का सहारा लिया इस मामले को 8 महीने तक ऐसे ही लंबित रखा। इधर बैंक भी कोर्ट के आर्डर को लेकर के बार-बार तहसीलदार के चक्कर लगाती रही और थक हार कर जब तहसीलदार ने कोई कार्रवाई नहीं की तो फाइनेंस बैंक को हाई कोर्ट का सहारा लेना पड़ा।
एडीएम के बाद हाई कोर्ट के आदेश को भी रख दिया ताक पर
फाइनेंस बैंक के द्वारा जब 14 मई 2025 को हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई इस पर हाई कोर्ट ने तहसीलदार की भूमिका पर शक जाहिर किया साथी 23 जून 2025 तक फाइनेंस बैंक को संपत्ति पर कब्जा करने की आदेश भी जारी कर दिए। लेकिन उसके बावजूद भी तहसीलदार ने महज एक नोटिस जारी की और 23 जून तक कोई भी कार्रवाई नहीं की। 26 जून को जब तहसीलदार स्वयं कोर्ट में पेश हुए तो फिर न्यायाधीश उन पर काफी गुस्सा हुए। जब कोर्ट ने तहसीलदार से इतने लंबे समय की देरी का कारण पूछा तो तहसीलदार के पास में कोई भी जवाब नहीं था वह चुपचाप खड़े रह गए।
हाई कोर्ट का सख्त लहजा तुम्हें हम उदाहरण बनाएगे
तहसीलदार के द्वारा की गई इस हीला हवाली पर हाईकोर्ट सख्त हो गया हाई कोर्ट ने तहसीलदार दिलीप चौरसिया पर टिप्पणी की कि तुम्हें अब हम उदाहरण बनाएगे अब इसी के साथ में हाईकोर्ट ने ऐसा आदेश जारी कर दिया जिसमें पूरे प्रदेश के तहसीलदारो पर जिसका असर पड़ है। हाई कोर्ट ने पूरे मध्य प्रदेश के तहसीलदारों के लिए आदेश जारी किया है कि सरफेसी एक्ट की धारा 14 के तहत सीजीएम और ADM द्वारा जितने भी आदेश तहसीलदार को दिए गए हैं उन्हें हर हाल में 30 दिन के अंदर इसकी कार्यवाही हो। अगर तहसीलदार ऐसा नहीं करते हैं तो उनके विरुद्ध सेवा में लापरवाही के कारण विभागीय जांच की जाए। कोर्ट यानी रुका कोर्ट ने कहा कि इस निर्देश की कॉपी को राज्य के मुख्य सचिव के साथ-साथ जिले के सभी कलेक्टरों के भेजे जाए और कलेक्टर अपने सभी तहसीलदारों को इस जानकारी को इस निर्देश को भेजेंगे।