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MP News : ग्रामीणों ने बना डाला लकड़ी का पुल 25 साल से बनी हुई है समस्या 

25 सालों से पुल के लिए तरस रहे ग्रामीण,नेताओं के साथ जिले के कलेक्टर ने भी ग्रामीणों को दिया सिर्फ आश्वासन, ग्रामीण बने मांझी खुद बना डाला लकड़ी का पुल 

मैहर जिले से 55 किलोमीटर न्यू रामनगर नगर परिषद के वार्ड नंबर 4 के रहवासी  25 सालों से एक छोटे से पुल के इंतजार में जिंदगी में व्यतीत कर रहे हैं सरकारें आई और गई नेता बदते गए ने लेकिन किसी ने भी ग्रामीणों की एक छोटी सी मांग पूरी न कर सके ग्रामीणों ने किस बात को लेकर कई बार चुनाव का बहिष्कार भी किया लेकिन नेताओं और अधिकारीयो के मुंह से निकलने वाले मीठे शब्दो ने ग्रामीण को बहला लिया वा मतदान करवा लिया जाता है लेकिन पुल का निर्माण सपना ही रह जाता है कई बार ग्रामीण ने मिल कर लड़की वा पुल पथ बनाया लेकिन भरी बारिश में यह पुल बह जाता है ग्रामीण फिर इस पुल मिल कर बना लेते है बारिश में पुल बह जाने से ग्रामीण घरों में कैद हो जाते है, बच्चे स्कूल नही जा पाते जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है प्रशासन है की सुनता नही,

कुछ दिनों पहले भारी बारिश चलते ग्रामीणों द्वारा बनाया गया लकड़ी का पुल बह गया था इसके चलते ग्रामीण 10 दिनों से ज्यादा दिन तक घरों में कैद हो गए थे सूचना के बाद मैहर कलेक्टर ने 10 दिवस के बाद पुल बनवाने का आश्वासन दिया था समय बीतने के बाद ग्रामीणों को पुल नसीब नहीं हुआ फिर ग्रामीणों ने एक जुटता दिखाई और लकड़ी के पुल को फिर से बना डाला

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प्रशासनिक उदाशीनता का दंश पिछले 2 दशक से भोग रहे ग्रामीणों ने एक जुटता की मिशाल पेश करते हुए नदी पर वैकल्पिक पुल तैयार कर अपना मार्ग प्रशस्त कर लिया। पिछले 11 दिनों से घरों में कैद ग्रामीणों की फरियाद जब जिला प्रशासन ने नहीं सुनी तक सभी ने लकड़ी का पुल बनाया और तट पार करना शुरू कर दिया। यह मामला मैहर जिला मुख्यालय से लगभग 55 किमी की दूरी पर स्थित करौंदिया गांव का है। कहने के लिए यह गांव नगर परिषद न्यू रामनगर का हिस्सा है, लेकिन 2 दशक से नगर परिषद यहां रहने वाले लोगों के लिए पुल मंजूर नहीं कर सका। करौंदिया गांव में लगभग दो सैकड़ा परिवार रहते हैं। जिनकी स्कूल, कॉलेज, खेती और रोजगार के सभी साधन-सुविधाएं पूरी बाहरी क्षेत्र में निर्भर हैं। लेकिन बरसात के दिनों में सभी का रास्ता यहां से गुजरी नदी रोक देती है। बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पाते। किसान खेतों तक नहीं जा पाते। मरीज रास्ते के अभाव में घरों में कैद रहते हैं। कुल मिलाकर पुल नहीं होने से सभी का जीवन बेहद कष्टमय है। कई बार ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को इस बारे में उचित कदम उठाने का आग्रह किया। लेकिन उन्हें हर बार केवल आश्वासन मिले। पिछले दिनों जिला कलेक्टर ने भी 10 दिन के अंदर रास्ता और पुल की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया था, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं हुआ।

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