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MP News : गुरूसाहब बाबा के दरबार मे लगा विश्व प्रसिद्ध भूत मेला

MP News : आपने एक से बढ़कर एक मेले देखे होंगे लेकिन बैतूल के सन्त गुरूसाहब बाबा के दरबार मे हर साल आयोजित होता है विश्व प्रसिद्ध भूतों का मेला जिसमे कथित तौर पर प्रेत बाधाओं से पीड़ित मरीजों का इलाज बड़े अनूठे तरीके से किया जाता है । आधुनिक युग मे इसे अंधविश्वास ही कहा जाएगा लेकिन हैरत की बात ये भी है कि हर साल इस भूतों के मेले का उद्घाटन करने राज्य के मंत्री ,सांसद और विधायक खुद पहुंचते हैं । भूतों के मेले और गुरूसाहब बाबा के दरबार मे और क्या खास है देखिए इस रिपोर्ट में ।

आप किसी सन्त के दरबार मे दर्शन के लिए गए हों और वहां आपको अपनें चारों तरफ चीखते दौड़ते बदहवास लोग दिखाई दें तो डरना लाजमी है । हर साल पौष माह की पूर्णिमा से बैतूल के मलाजपुर गाँव में सन्त गुरूसाहब बाबा दरबार मे ऐसा ही नजारा देखने मिलता है । पूर्णिमा के दिन से यहां शुरू होता है भूतों का मेला जहां किस किस तरह के भूत प्रेत आते हैं पहले ज़रा ये सुन लीजिए ।

बताया जाता है कि सन्त गुरूसाहब बाबा का परिवार राजस्थान से एक चरवाहे के रूप में बैतूल के मलाजपुर गाँव आया था और यहीं उनका जन्म हुआ । बचपन से ही उनके चमत्कारों को देख लोग उनका बहुत सम्मान करते थे । उनका असली नाम तो देवजी था लेकिन जब बालक देवजी ने अपने नेत्रहीन गुरु जैतानंद  की आंखों पर स्पर्श किया तो गुरु की नेत्रज्योति वापस लौट आई और तभी उनके गुरु ने उन्हें साहब की उपाधि देकर उनका नाम सन्त गुरूसाहब रख दिया यानि एक ऐसा सन्त जो अपने गुरु से भी ऊपर है ।

मलाजपुर के इस भूत मेले का सबसे बड़ा आकर्षण होता है बाबा गुरूसाहब की कचहरी जिसमे पेशी होती है भूत प्रेतों की । कथित तौर पर जो लोग प्रेत बाधाओं से पीड़ित होते हैं वो बाबा की कचहरी में लाए जाते हैं । यहां दरबार के मुख्य पुजारी भूतों से बात करते हैं और उन्हें मानव शरीर छोड़कर जाने की शपथ दिलाई जाती है । ऐसा दावा किया जाता है कि शरीर से प्रेत बाधा निकलने के बाद लोग सामान्य हो जाते हैं । इस प्रक्रिया में कभी कभी कुछ मिनट तो कभी महीनों के समय भी लग जाता है ।

गुरूसाहब बाबा दरबार की एक खासियत ये भी है कि यहां चढाए जाने वाले गुड़ के प्रसाद में कभी चीटियां और मक्खियां नहीं लगती । यहां के भंडार में सालभर गुड़ रखा रहता है लेकिन उसमें कभी एक भी चींटी नहीं देखी गई । ऐसा सदियों से होता आ रहा है ।

गुरूसाहब बाबा के दरबार मे लगने वाले भूतों के मेला अंधविश्वास है या आस्था इसे लेकर कई लोगों ने रिसर्च की और कर रहे हैं हालांकि विज्ञान के नज़रिए से तो ये केवल अंधविश्वास ही है और यहां आने वाले मरीज मानसिक रोगी लेकिन फिर भी इस मेले का उद्घाटन करने हर साल बड़े बड़े मंत्री आते हैं और इस स्थान को विकसित करने का वादा करते हैं।

अगर इस दरबार को भूतों के मेले के नज़रिए से हटकर देखा जाए तो ये धार्मिक आस्था का एक ऐसा ऐतिहासिक दरबार है जहां माथा टेकने केवल बैतूल ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों से श्रद्धालु आते है और पौष माह की पूर्णिमा से लेकर अगले एक महीने तक यहां दर्शन करते हैं ।

Article By : Aditya Vishwakarma

Sanjay Vishwakarma

संजय विश्वकर्मा (Sanjay Vishwakarma) 41 वर्ष के हैं। वर्तमान में देश के जाने माने मीडिया संस्थान में सेवा दे रहे हैं। उनसे servicesinsight@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। वह वाइल्ड लाइफ,बिजनेस और पॉलिटिकल में लम्बे दशकों का अनुभव रखते हैं। वह उमरिया, मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने Dr. C.V. Raman University जर्नलिज्म और मास कम्यूनिकेशन में BJMC की डिग्री ली है।

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