IMD Alert MP : मौसम केंद्र भोपाल के द्वारा आने वाले 24 घंटे के लिए अलर्ट जारी किया गया है जिसमें बताया गया है कि मध्य प्रदेश की कई जिलों में घना कोहरा देखा जाएगा वहीं कुछ जिलों में हल्का से माध्यम कोहरे की संभावना जताई गई है
प्रातः 08:30 बजे के प्रेक्षण पर आधारित मौसम सारांश- पिछले 24 घंटो के दौरान प्रदेश के सभी संभागों के जिलों में मौसम मुख्यतः शुष्क रहा। मंडला में शीत लहर का प्रभाव रहा ।
अधिकतम तापमानों में सभी संभागों के जिलों में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। वे भोपाल, जबलपुर, सागर संभागों के जिलों में सामान्य से अधिक रहे, इंदौर, नर्मदापुरम, ग्वालियर संभागों के जिलों में सामान्य से काफी अधिक रहे; उज्जैन संभाग के जिलों में सामान्य से विशेषरूप अधिक रहे एवं शेष सभी संभागों के जिलों में सामान्य रहे।
न्यूनतम तापमानों में सभी संभागों के जिलों में विशेष परिवर्तन नहीं हुआ। वे इंदौर, उज्जैन, सागर संभागों के जिलों में सामान्य से अधिक रहे; ग्वालियर संभाग के जिलों में सामान्य से काफी अधिक रहे एवं शेष सभी संभागों के जिलों में सामान्य रहे।
भिंड, मुरैना और ग्वालियर में अतिघना कोहरा छाया रहा; साथ ही दतिया, निवाड़ी, उत्तरी छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, मऊगंज, सीधी और सिंगरौली में मध्यम से घना कोहरा छाया रहा और श्योपुर कलां, मैहर और दक्षिणी छतरपुर में हल्के से मध्यम कोहरा छाया रहा। न्यूनतम दृश्यता ग्वालियर हवाई अड्डे पर ० मीटर खजुराहो और रीवा हवाई अड्डे पर 50 मीटर सतना में 50-200 मीटर और टीकमगढ़ में 200-500 मीटर दर्ज की गई।
सिनोष्टिक मौसमी परिस्थितियां
वर्तमान में पश्चिमी विक्षोभ माध्य समुद्र तल से 3.1 किमी और 12.6 की ऊंचाई के बीच एक टूफ़ के रूप में 67° पूर्व देशांतर के सहारे 20° उत्तर अक्षांश के उत्तर में सक्रिय है।
जबकि प्रेरित चक्रवातीय परिसंचरण दक्षिण-पश्चिम राजस्थान और संलग्न दक्षिण- पूर्वी राजस्थान माध्य समुद्र तल से 1.5 किमी की ऊंचाई तक सक्रिय है।
एक टूफ़ उत्तरी पंजाब से लेकर पश्चिमी मध्य अरब सागर तक दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान और दक्षिण-पूर्वी राजस्थान के ऊपर सक्रिय प्रेरित चक्रवातीय परिसंचरण को पार करते हुए माध्य समुद्र तल से 1.5 किमी की ऊंचाई पर विस्तृत है।
उत्तर भारत के ऊपर माध्य समुद्र तल से 12.6 किमी की ऊंचाई पर 240 किमी प्रति घंटा की गति से उपोष्ण जेट स्ट्रीम हवाएँ बह रही है।
एक नए पश्चिमी विक्षोभ की 10 जनवरी, 2025 से उत्तर-पश्चिम भारत को प्रभावित करने की संभावना है।
Orange Alert | घना कोहरा
ग्वालियर,दतिया, भिंड, मुरैना, श्योपुरकता, सिंगरौली, सीधी रीवा, मऊगंज, सतना, पत्रा, छतरपुर,टीकमगढ़,निवाड़ी. मैहर जिलों में।
Yellow Alert | हल्का से मध्यम कोहरा
मंदसौर, नीमच जिलों में।
रख्ने ये सावधानियां
- लम्बे समय तक शीत के सम्पर्क में रहने से मस्तिष्क को गंभीर क्षति हो सकती है इस अवस्था को हाइपोथर्मिया कहा जाता है। इसके कारण शरीर में गर्मी के हास से कंपकपी, बोलने में दिक्कत, अनिद्रा मांसपेशियों में अकडन, सांस लेने में दिक्कत/निवेतन की अवस्था हो सकती है। ऐसी अवस्था में तत्काल चिकित्सीय सहायता ले।
- ठंड के मौसम में आपकी त्वचा, हाथ-पैरों की अंगुलियों में रक्त वाहिकाएँ संकरी हो जाती हैं, इसलिए कम गर्मी के कारण हृदय गति बढ़ जाती है और हृदय के लिए आपके शरीर में रक्त पंप करना कठिन हो जाता है। इसलिए ठण्ड में बाहर कम समय बिताएँ।
- शीत लहर के संपर्क में आने पर शीत से प्रभावित अंगों के लक्षणों जैसे कि संवेदनशून्यता, सफ़ेद अथवा पीले पड़े हाथ एवं पैरों की उँगलियों, कान की लौ तथा नाक की ऊपरी सतह का ध्यान रखे।
- शीत लहर के अत्यधिक प्रभाव से त्वचा पीली, सख्त एवं संवेदनशून्य तथा लाल फफोले पड़ सकते है। यह एक गंभीर स्थिति होती है जिसे गैंगरीन भी कहा जाता है। यह अपरिवर्तनीय होती है। अतः शीता लहर के पहले लक्षण पर ही चिकित्सक की सलाह ले तथा तब तक अंगों को गरम करने का प्रयास करे।
- शरीर की गर्माहट बनाये रखने हेतु अपने सर, गर्दन, हाथ और पैर की उँगलियों को अच्छे से ढंके एवं पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े जैसे- दस्ताने, टोपी, मफलर एवं जल रोधी जूते आदि पहने। शीत लहर के समय जितना संभव हो सके घर के अंदर ही रहें और कोशिश करें कि अतिआवश्यक हो तो ही बाहर यात्रा करें।
- इस समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाती है, जैसे- फ्लू, सर्दी, खांसी एवं जुकाम आदि के लक्षण हो जाने पर चिकित्सक से संपर्क करें।
- पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करें एवं शरीर की प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए विटामिन-सी से भरपूर फल और सब्जियां खाएं एवं नियमित रूप से गर्म पेय पदार्थ का अवश्य सेवन करें।
- कोहरे में मौजूद कण पदार्थ और विभिन्न प्रकार के प्रदूषक के संपर्क में आने पर फेफड़ों की कार्यक्षमता कम होने, खांसी और सांस की समस्या बढ्ने की संभावना है, अतः नियमित व्यायाम करेव मास्क का प्रयोग करे ।
- वाहन को धीमी या औसत गति पर चलाये, अगली वाली गाड़ी से पर्याप्त दूरी बनाये रखे एवं फॉग लैंप का इस्तेमाल करे।
- मौसम की जानकारी तथा आपातकालीन प्रक्रिया की जानकारी का सूक्ष्मता से पालन करे एवं शासकीय एजेंसियों की सलाह के अनुसार कार्य करे।
किसानों के लिए विशेष सलाह
- गेहूं एवं सरसो में सिंचाई को स्थगित करें ताकि फसल • गिरने से बचे; रोगों को रोकने के लिए अनुशंसित फफूंदनाशकों का छिड़काव करें।
- चने के पौधों को सहारा देने के लिए बांस का उपयोग करें, फफूंद संक्रमण रोकने के लिए सुरक्षात्मक फफूंदनाशकों का छिड़काव करें।
- यदि फसलें परिपक्वता के करीब हैं, तो जल्दी कटाई करें ताकि नुकसान को कम किया जा सके।
- ओलावृष्टि के बाद नियमित रूप से खेतों का निरीक्षण करें, नुकसान का आकलन करें और समय पर सुधारात्मक उपाय करें।
- ऑर्किड/बागवानी फसलों जैसे संतरा, जामुन, फूल, सब्जियां आदि में हेलनेट का उपयोग करें।
- शीत लहर के दौरान प्रकाश और लगातार सिंचाई प्रदान करे। स्प्रिंकलर सिंचाई से शीत लहर के प्रभाव को कम करने में सहायता मिलेगी।
- शीत लहर के दौरान पौधों के मुख्य तने के पास मिट्टी को काली या चमकीली प्लास्टिक शीट, घास फूस या सरकंडे की घास से ढंके। यह विकिरण अवशोषित कर मिट्टी को ठंडी में भी गर्म बनायें रखता है * गेहूं की फसल में क्राउन रूट स्टेज (20-22 DAS) पर पहली सिंचाई करें तथा सरसों और चना में 35 से 40 DAS पर खेत में पर्याप्त नमी के लिए सिंचाई करें। पहली सिंचाई के बाद गेहूं की फसल में टॉप ड्रेसिंग के रूप में यूरिया के रूप में अनुशंसित नाइट्रोजन उर्वरक की 1/3 मात्रा दें।
- कम तापमान के पूर्वानुमान के कारण रबी की फसलों में पाला पड़ने की संभावना है। इसलिए फसलों को पाले से बचाने के लिए रात में स्प्रिंकलर से हल्की सिंचाई करें, खेत में धुआं पैदा करने के लिए खेत की मेड़ में कचरा जलाएं या 15 दिन के अंतराल पर 0.5 ग्राम/लीटर धायोयूरिया या 3.0 ग्राम/लीटर घुलनशील/गीला करने योग्य सल्फर या 0.05 से 0.1% सल्फ्यूरिक एसिड घोल का छिड़काव करें।