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AGDP डीसी सागर का डांसिंग स्टाइल में पतंग उड़ाने का वीडियो हुआ वायरल

मकर संक्रांति के अवसर पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डीसी सागर ने पतंग उड़ाई,अब आप सोचेंगे कि मकर संक्रांति में पतंग उड़ाना तो आम बात है, इसमे क्या खास है तो आपको बता दें कि पंतग को भी डांसिंग स्टाइल में,अतिरिक्त ...

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Sanjay Vishwakarma

मकर संक्रांति के अवसर पर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डीसी सागर ने पतंग उड़ाई,अब आप सोचेंगे कि मकर संक्रांति में पतंग उड़ाना तो आम बात है, इसमे क्या खास है तो आपको बता दें कि पंतग को भी डांसिंग स्टाइल में,अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डीसी सागर ने एक भजन पर पतंग उड़ाते हुए जबरदस्त डांस किया है।

देखिए वीडियो :

https://youtube.com/shorts/fAT55Tr2KY0?feature=share

 

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डीसी सागर का हाल ही में शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में गृह विभाग की समीक्षा करते हुए शहडोल के एडीजीपी डीसी सागर की फिटनेस को लेकर उनकी तारीफ की थी। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि यदि फिट रहना सीखना है तो डीसी सागर से सीखो।

फिटनेस को लेकर चर्चित शख्सियत

आपको बता दें कि शहडोल रेंज के एडीजीपी डीसी सागर खुद को फिट रखने के लिए 56 साल की उम्र में भी अपने शरीर का बहुत ध्यान रखते हैं। प्रतिदिन सुबह सूरज निकलने से पहले उठना और उसके बाद मॉर्निंग वाक योग व्यायाम उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। यही कारण है कि यह पूरी तरह से फिट नजर आते हैं। इतना ही नहीं जब भी किसी कार्यक्रम में पहुंचते हैं तो वहां पर वह अपने कुर्सी पर बैठने के अंदाज से लोगों के आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं ।वैसे कहा जाता है कि डीसी सागर की छवि महकमे में फिल्मी पुलिस वाले जैसी है, और ये सच भी इसलिए लगता है क्योंकि ऑफिस में बैठने के बजाय ज्यादातर वक्त फील्ड पर दिखाई देते रहे हैं।

बालाघाट में नाम से थर-थर कांपते थे नक्सली

वैसे डीसी सागर के काम करने का तरीका और उनका अंदाज भी उनकी लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है। यही नहीं, उनकी बहादुरी के किस्से भी दूर दूर तक मशहूर हैं। यही वजह है कि इससे पहले बालाघाट रेंज के आईजी पद पर होने के बाद भी वे बंदूक लेकर अक्सर ही जवानों के बीच पहुंच जाते थे, इतना ही नहीं कभी चेक पोस्ट पर चेकिंग के लिए भी तैनात रहते थे। विभाग में उनकी ये छवि जहां जवानों की हौसला अफजाई करती है, वहीं उनकी बहादुरी की मिसाल भी कायम करती है। डीसी सागर उन नक्सली इलाकों में साइकिल और नाव से गश्त करने चले जाते थे, जहां पर पुलिस को आधुनिक हथियारों की जरूरत होती है।

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