Elephants Mourning on Death: इंसानों की तरह हाथी भी अपने समूह के सदस्यों की मौत पर शोक मनाते हैं। वे समूह में अपना दुख व्यक्त करते हैं। तरह-तरह की हरकतें भी करते हैं ऐसे कई अध्ययन सामने आएं हैं और अमूमन आपने पढ़ा भी होगा लेकिन ऐसे अध्ययनों को पुक्खता करने वाली तस्वीरें विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व से आईं हैं.
क्या हैं पूरा मामला
दरअसल बांधवगढ़ टाइगर रिसर्व के पनपथा बफर के हरदी बीट में लगभग 8 माह के मादा जंगली हाथी का शव मिलने की सूचना गस्ती दल के द्वारा प्रबंधन के उच्च अधिकारीयों को दी गई,घटना की जानकारी लगते ही फील्ड डायरेक्टर सहित वन्यजीव चिकित्सक मौके पर पहुचें और शव को कब्जे में लेकर शव का पीएम करने की तैयारी करने लगे, शावक की मौत साथ में चलने के कारण लगी हुई चोट या ठंड के कारण होने की संभावना बताई गई इसी बीच घटना स्थल पर लगभग एक दर्जन जंगली हाथियों के दल के साथ मृत 8 माह के हाथी की माँ चिंघाड़ते हुए पहुँच गई,मृत हाथी के बच्चे के आसपास उसकी माँ घूमी,उसे सूंघती रही यह घटनाक्रम लगभग एक घंटे तक चला. कुछ समय बाद पार्क प्रबंधन ने जुगत लगाई और दल को जंगली हाथियों के दल जो जंगल की ओर भेज दिया.
क्यों पहुँची माँ शव के पास
दरअसल कई रिसर्च में वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स दावा करते हैं की हाथी अपने साथिओं की मौत के बाद इंसानों जैसे ही शोक मानते हैं.साथी हाथी की मौत के बाद शव को अन्य हाथी छूते हैं,सूंघते हैं साथ ही चेहरे और कानों को भी छूकर सूंघते हैं,और मृत हाथी के शव को हिलाकर भी देखते हैं, ऐसा इसलिए करते हैं ताकि वह उठ जाएँ,हथिनी अपने बच्चे की मौत के बाद उसे अपनी सूड में उठाकर पूरे दिन घूमती है,ताकि वह जिन्दा हो जाए. अगर रिसर्च की माने तो बांधवगढ़ में हथिनी अपने मृत शावक को लेने के लिए पहुँची थी ताकि वह उसे दोबारा जिन्दा करने का अपना प्रयास कर सके.