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फोन लगाकर मिन्नतें करते रहे माता-पिता नही आए डॉक्टर, आर्यन ने तोड़ दिया दम | उमरिया

उमरिया जिले का पाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर हमेशा विवादित रहा है। यहां पदस्थ डॉक्टर हो या खंड चिकित्सा अधिकारी नगर वासी अगर इनकी कार्यशैली का विरोध करते हैं। तो ये  राजनीतिक पैठ बताकर तमाम मामले ...

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खबरीलाल Desk

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फोन लगाकर मिन्नतें करते रहे माता-पिता नही आए डॉक्टर, आर्यन ने तोड़ दिया दम

उमरिया जिले का पाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर हमेशा विवादित रहा है। यहां पदस्थ डॉक्टर हो या खंड चिकित्सा अधिकारी नगर वासी अगर इनकी कार्यशैली का विरोध करते हैं। तो ये  राजनीतिक पैठ बताकर तमाम मामले को रफा दफा कर देते हैं। लेकिन समय समय पर अवस्थाओं की पोल जरूर खुल जाती है।

ताजा मामला आज सुबह 10 और 11:00 के आसपास का है। जब उमरिया जिले के नौरोजाबाद थाना अंतर्गत ग्राम रहठा निवासी केशलाल अपने बेटे रविंद्र प्रसाद कोल उम्र 7 वर्ष उर्फ आर्यन का ईलाज कराने पहुँचा था पाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे। ड्यूटी में कोई भी डॉक्टर मौके पर मौजूद नहीं था। परिजनों ने जब ड्यूटी पर मौजूद स्टाफ से पता किया तो उन्हें बताया गया कि डॉक्टर नितेश कुमार जोशी की ड्यूटी है। परिजनों के द्वारा जब स्टाफ से डॉक्टर का नंबर मांग कर उन्हें फोन लगाया गया तो उन्होंने कहा कि मैं अभी फ्रेश हो रहा हूं। मौके पर मौजूद पाली नगर के जागरूक नागरिकों के द्वारा जब पाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बगल में निवासरत डॉक्टर शुभम को बुलाया गया तब तक बच्चे ने दम तोड़ दिया था।

हालांकि उसके बावजूद भी तय समय की वजह डॉक्टर नितेश कुमार जोशी 11:30 पर पाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे हैं। यह कोई नया मामला नहीं है। पाली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आए दिन ऐसी घटनाएं घटित होती हैं।

जब इस बात की पड़ताल की गई तो पता चला कि डॉक्टर जैन इन दिनों छुट्टियों पर हैं और खंड चिकित्सा अधिकारी के दायित्व पर डॉक्टर नितेश जोशी ही हैं। सवाल यह उठता है कि अगर जिम्मेदार डॉक्टर ही ऐसी लापरवाही करेंगे तो बाकी स्टाफ के क्या उम्मीद की जा सकती है।

वही इस मामले में जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी उमरिया से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि मैं पता करवा लेता हूं क्या वस्तु स्थिति है।

मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर के भले ही सरकार तमाम दावे और वादे कर लें लेकिन जब जमीनी अमला अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित नहीं होगा तब तक स्वास्थ्य सेवाएं ऐसी ही दम तोड़ती नजर आएंगी।

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