विश्व प्रसिद्ध बाँधवगढ़ का टाइगर रिजर्व की बदौलत मध्यप्रदेश को दोबारा टाइगर स्टेट का दर्जा मिला है। बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व में वैसे तो बड़ों की संख्या 165 बताई गई है।लेकिन बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व का पार्क प्रबंधन इन दोनों एक नया रिकार्ड बनाने में जुटा हुआ है। दरअसल वर्ष 2024 के लगते ही 10 जनवरी से बाघों की मौत कल सिलसिला चालू हुआ है। और मात्र 55 दिन के अंदर ही 7वें बाघ बाकी मौत हो गई। जिनमें से अधिकतर बाघों का शव तब मिला जब शव छत विछत हो चुका होता है।
04.03.2024 को बाँधवगढ़ टाईगर रिजर्व के वन परिक्षेत्र पनपथा कोर के बीट हरदी के कक्ष क० RF-455 में सुबह 11:30 AM पर एक नर बाघ मृत अवस्था मे जो बाघ मिला है उसे 29 फरवरी 2024 को पनपथा कोर के बघड़ो बीट में मिले मृत बाघ के साथ आपसी संघर्ष बताया गया है,सवाल यह है की अगर घायल बाघ की समय पर ट्रैकिंग कर ली जाती तो घायल बाघ की मौत नही होती या फिर अगर मौत भी उसी दिन आपसी संघर्ष में हुई है तो 4 दिन बाद पार्क प्रबंधन का मृत बाघ तक पहुचना बड़े सवालिया निशान खड़े करता है.
2024 में बाघों की कब-कब हुई मौत
- 10 जनवरी 24 को पतोर रेंज चिल्हारी बीट के आर 421 के कुशहा नाल में 15 -16 महीना के बाघ शावक का एक महीना पुराना कंकाल पाया गया।
- 16 जनवरी 2024 को धमोखर परिक्षेत्र के ग्राम बरबसपुर से करीब एक किमी दूर नर बाघ शावक 12 से 15 माह का शव मिला।
- 23 जनवरी 2024 को मानपुर बफर रेंज के पटपरिया हार पीएफ 313 में एक बाघिन का शव पाया गया। खबर 25 को जारी हुई।
- 31 जनवरी 2024 बांधवगढ टाइगर रिजर्व के कल्लवाह परिक्षेत्र के आरएफ़ क्रम 255 में गश्ती के दौरान मृत अवस्था मे बाघ मिला है।
- 29 फरवरी 2024 को पनपथा कोर के बघड़ो बीट में मिला मृत बाघ। इसकी अनुमानित उम्र 5 से 6 साल की बताई जा रही है।बाघ की मौत आपसी संघर्ष की वजह से हुई है।
- 02 मार्च 2024 को बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की पतौर रेंज में तीन साल का मृत बाघ पाया गया। स्थान:- चपटा पटेरा, आरएफ 435, बीट पिटोर, रेंज पतौर
- 04.03.2024 को बाँधवगढ़ टाईगर रिजर्व के वन परिक्षेत्र पनपथा कोर के बीट हरदी के कक्ष क० RF-455 में सुबह 11:30 AM पर एक नर बाघ मृत अवस्था मे पाया गया। शव परीक्षण करने पर दिनांक 29.02.2024 को मृत बाध से आपसी संघर्ष में उक्त बाघ का मृत होना पाया गया।
ईस्ट इंडिया कंपनी बना BTR प्रबंधन
इस देश में ब्रिटिश सरकार की हुकूमत के दौरान ब्रिटिश सरकार ने वैसे ही कानून बनाए जिनमें उन्हें किसी दिक्कत का सामना न करना पड़े। ऐसी हालत वर्तमान में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अंदर देखे जा रहे हैं जहां हर बाघ की मौत के बाद में लीपा पोती कर दी जाती है। बाघों की लगातार मौत के बाद भी यह कोई पूछने वाला नहीं है कि आखिर कहां गया आपका पेट्रोलियम सिस्टम कहां गया आपका मॉनिटरिंग सिस्टम। हालात अगर ऐसे ही रहे तो वह दिन दूर नहीं जब एक दौर में जैसे पन्ना टाइगर रिजर्व के हालात थे उसी की पुनरावृत्ति कही बांधवगढ़ में तो नही हो है, बाघों की मौत का कारण जो भी हो लेकिन लगातार हो रही मौत से बाघ प्रेमियों के बीच चिंता की लहर है.