Raj Kapoor Birthday : बालीवुड में एक ऐसा दौर था जब पृथ्वीराज कपूर के नाम का सिक्का चलता था.पूरा देश उनकी अदाकारी का लोहा मानता था,उन्ही के घर में आज ही के दिन यानि 14 दिसम्बर १९२४ को एक ऐसे बालक का जन्म हुआ जिसने न सिर्फ अपने खानदान का नाम रोशन किया बल्कि बॉलीवुड के शोमैन के नाम से भी नवाजे गए.
फ़िल्म “आह” में राजकपूर ने लिया था रीवा का नाम :
राजकपूर साहब से रीवा के साथ रिश्ता दशकों तक किवंदंतियों में रहा। इस रिश्ते की ऊष्मा की तपिश 1953 में रिलीज हुई उनकी फिल्म ‘आह’ से महसूस की जा सकती है जिसमें राजकपूर(एक प्रेमी का किरदार जिसे टीबी है) बार-बार जिद करते हैं…काका मुझे रीवा ले चलो, काका मुझे रीवा जाना है..। रीवा उनके ह्रदय में बसा रहा ताउम्र।उस फिल्म में महान गायक मुकेश ने राजकपूर के मित्र की भूमिका अभिनीत की थी फिल्म का क्लाइमेक्स रीवा-सतना के बीच फिल्माया गया था। नरगिस फिल्म की केंद्रीय भूमिका में थीं। उनकी इस तपिश को स्मृति में बदलकर रीवा शहर में उसी जगह एक भव्य आडिटोरियम बना जहां पर बने एक बंगले(एसपी बंगला) में उनकी बारात आई और उसके आँगन में कृष्णा करतारनाथ मल्होत्रा से ब्याह हुआ, जिसे आज कृष्णा-राजकपूर आँडी के नाम से जाना जाता है। 2 जून 2018 का वह क्षण अविस्मरणीय था जब राजसाहब के ज्येष्ठ पुत्र रणधीर कपूर ने इसका लोकार्पण किया.
राजकपूर का रीवा में था सुसुराल:
हिंदी सिनेमा के महान शोमैन राज कपूर का मध्य प्रदेश के रीवा शहर से विशेष नाता था, इसकी वजह काफी दिलचस्प है। दरअसल, रीवा राज कपूर की सास हैं और बारात में अपनी पत्नी कृष्णा से शादी करने यहां आई थीं। बता दें कि राज कपूर ने 12 मई 1946 को रीवा में शादी की थी। राज कूपर ने कृष्णा कपूर से काफी धूमधाम से शादी की थी। शादी के वक्त कृष्णा की उम्र 16 साल और राज कपूर की उम्र 22 साल थी। कृष्णा के पिता करतारनाथ मल्होत्रा आईजी थे और उनका पूरा परिवार रीवा में रहता था। बता दें कि कृष्णा कृष्णा, प्रेम नाथ, राजेंद्र नाथ और नरेंद्र नाथ की बहन हैं।
कृष्णा राजकपूर आडिटोरियम सर्वश्रेष्ठ बिल्डिंग :
2019 में अधोसंरचनाओं का आकलन करने वाली एक आधिकारिक एजेंसी ने कृष्णा राजकपूर आडिटोरियम को देशभर में वर्ष की सर्वश्रेष्ठ बिल्डिंग घोषित की.कपूर परिवार की स्मृतियों को चिर स्थायी बनाने का श्रेय विंध्य के यशस्वी नेता पूर्वमंत्री विधायक राजेन्द्र शुक्ल को जाता है जिन्होंने किंतु-परंतु और आलोचनाओं की चिंता किए बिना विंध्यवासियों को कृष्णा राजकपूर आडिटोरियम के रूप में अविस्मरणीय व ऐतिहासिक सौगात दी।