Education Loan : अच्छी शिक्षा पाने का अधिकार सबका होता है और अच्छा करियर बनाने का अधिकार सबका होता है लेकिन कभी-कभी आर्थिक स्थिति पढ़ाई लिखाई में आड़े आ जाती है। ऐसी स्थिति में एजुकेशन लोन एक बड़ा सहारा होता है और इस परिवार की मदद हो जाती है और जो परिवार फंड इकट्ठा नहीं कर पता है उसे एक साथ एक बड़ा फंड मिल जाता है। लेकिन करियर बनाने के लिए एजुकेशन लोन जितना महत्वपूर्ण है उतना ही महत्वपूर्ण है लोन लेने के पहले तमाम जरूरी बातों को जानना जिससे इन फ्यूचर कोई समस्या ना आए।
कितनी पड़ेगी लोन की जरूरत है
अक्सर दिखने में आता है कि पेरेंट्स कॉलेज की फीस का कैलकुलेशन करके उसे हिसाब से लोन ले लेते हैं लेकिन जब बच्चा पढ़ने जाता है तो हॉस्टल फीस के साथ-साथ बुक्स और लैपटॉप के साथ में ट्यूशन फीस का खर्चा अतीक बोस पड़ जाता है और एजुकेशन लोन लेने के बाद भी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती है।
कब करनी होगी लोन की रीपेमेंट
कोई भी बैंक जब आपको एजुकेशन लोन देता है तो उसे पीरियड के दौरान पढ़ाई की पीरियड के दौरान 1 साल का मोरटोरियम पीरियड भी देता है। इसका मतलब यह है की ईएमआई के तौर पर बैंक से आपने जो लोन लिया है उसे चूकना नहीं पड़ेगा इसके बाद 15 साल के अंदर इस लोन को रीपेमेंट करके आपको पूरा चुकता करना पड़ेगा। लेकिन यह भी आपको पता होना चाहिए कि लोन जिस दिन से सैमसंग हो जाता है ब्याज की दर उसे दिन से शुरू हो जाती है। आपकी सुविधा के अनुसार आप मोरटोरियम पीरियड को 2 साल और भी बढ़ावा सकते हैं।
ब्याज दर क्या होनी चाहिए?
एजुकेशन लोन लेते समय ब्याज दर की सावधानीपूर्वक जांच करना बहुत जरूरी है। हालाँकि, ब्याज दर संस्थान के पाठ्यक्रम, शैक्षणिक प्रदर्शन और आवेदक के क्रेडिट स्कोर पर निर्भर करती है। आपको बता दें कि ज्यादातर बैंकों की ब्याज दर 6% से 7% के बीच होती है लेकिन कई बैंकों की ब्याज दर अलग भी हो सकती है।
इस रकम के लिए गारंटर की जरूरत पड़ सकती है
जानकारी के लिए बता दें कि अगर आप 4 लाख रुपये से कम का एजुकेशन लोन लेते हैं तो किसी गारंटर की जरूरत नहीं होगी. लेकिन अगर लोन की रकम 4 से 7.5 लाख रुपये के बीच है तो थर्ड पार्टी गारंटर की जरूरत होती है, न सिर्फ 5 लाख रुपये से ज्यादा के लोन के लिए कोई प्रॉपर्टी, इंश्योरेंस पॉलिसी, बैंक डिपॉजिट सिक्योरिटी के तौर पर देना होता है.