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क्या 4 मार्च को रीवा के दो टुकड़े कर मऊगंज को बनाया जाएगा नया जिला पढ़िए सियासी मायने

मध्यप्रदेश के संभागीय मुख्यालय रीवा जिले में चुनाव से पहले बीजेपी ने एक सियासी पासा फेका है। उस पासे का नाम है मऊगंज को जिला बनाना। यह सब मजबूत वापसी के लिए बीजेपी ने किया है। वैसे मऊगंज को जिला बनाने का संघर्ष पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी ने किया है। वे इस विधान सभा से भारतीय जन शक्ति पार्टी के विधायक थे।

 

राजेन्द्र शुक्ला की कभी इच्छा नहीं थी,कि मऊगंज जिला बने। वे यह भी नहीं चाहते कि विंध्य राज्य बने। इसके वे खिलाफ हैं। छोटे राज्य के वे पक्षधर नहीं हैं। लेकिन मऊगंज को जिला मजबूरी में मुख्य मंत्री शिवराज सिंह बना रहे हैं। मऊगंज के जिला बनने से दो तस्वीर बनेगी। पहला,मतदाताओं की नाराजगी कम हो सकती है। दूसरा कांग्रेस को नुकसान भी हो सकता है। अभी तक कांग्रेस यही समझ रही थी कि चार सीट उसे मिल जाएगी।

चार मार्च को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान मऊगंज आकर इसे जिला बनाने की घोंषणा करेंगे। इसके सियासी मायने और सियासी फायदे हैं। सियासी मायने यह कि राजेन्द्र शुक्ला यहां से चुनाव लड़ सकते हैं। ढेरा उनका गांव है। रीवा की टिकट इस बार उन्हें मिलेंगी,इसमें संदेह है। भोपाल में बीजेपी हाईकमान ने रीवा में निकाय चुनाव में मेयर सीट हारने के बाद,उन्हें दो टुक कह दिया है,कि अपने लिए कोई नया विधान सभा चुन लें। जाहिर सी बात है,कि राजेन्द्र शुक्ला जिले की राजनीति करते हैं,इसलिए वे जिला ही चाहते हैं। यानी राजेन्द्र शुक्ला के लिए शिवराज सिंह चौहान मऊगंज को जिला बनाने की घोंषणा करने आ रहे हैं ? एक तरीके से राजेन्द्र शुक्ला के लिए सुरक्षित विधान सभा तैयार करने आ रहे हैं। वहीं सवाल यह भी है कि रीवा जिले में कितने विधायकों की बीजेपी टिकट काट रही है। शिवराज सिंह को भी पता नहीं है।

रीवा में ही समदड़िया क्यों –

बीजेपी हाईकमान इस बार 65 से 70 विधायकों की टिकट काटने जा रहा है। ऐसे में रीवा से राजेन्द्र शुक्ला की टिकट पर संदेह बरकार है। अमित शाह की टीम के सर्वे रिपोर्ट में भी राजेन्द्र शुक्ला रीवा चुनाव नहीं जीत रहे हैं। इसीलिए वे फ्लाई ओवर,हवाई अड्डा के अलावा कई सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिए जनता तक पहुंचने में लगे हैं। आज उनका कथित विकास ही उनके सियासी मार्ग में बाधक बन गया है। फुटकर व्यापारी संघ गडकरी और शिवराज के समक्ष कह चुका है,कि इस बार इन्हें चुनाव हरा देंगे। जनता कहने लगी है,कि समदड़िया आखिर किसके लिए अडानी की भूमिका में है? उसके खिलाफ ई.डी और आई.टी. के हाथ क्यों नहीं बढ़ रहे हैं? जिला पंचायत में ज्यादातर बीजेपी के लोग काम कर रहे है। जो कि जीएसटी जमा नहीं किये हैं। करोड़ों का जीएसटी घोटाला है। सवाल यह भी है,कि समदड़िया के आड़ में किसका पैसा लगा हुआ है। रीवा के विकास के नाम पर आखिर किसका हाथ,किसके विकास के साथ जुड़ा है?

शिवराज सिंह चौहान सिंगरौली को सिंगापुर बनाने की बात किए थे। वो हुआ नहीं। वहां आप का मेयर बन गया।

एक सवाल यह भी है कि रीवा की तरह हर जिले को बीजेपी समदड़िया बनाम आडानी क्यों नहीं पैदा कर सकी। यदि ऐसा कर लेती तो सिंगरौली भले सिंगापुर न बनता मगर,आप का मेयर भी न बनता। राजेन्द्र शुक्ला के विकल्प की बात कुछ लोग करते हैं। जबकि पार्टी ने विकल्प भी ढूंढ लिया है। ऐसे में राजेन्द्र शुक्ला करेंगे क्या? इस सवाल का जवाब स्वयं राजेन्द्र शुक्ला भी नहीं जानते।

रीवा के दो टुकड़े – 

रीवा जिला का दो टुकड़ा हो गया। रीवा को चार विधान सभा और मऊगंज को चार विधान सभा मिलेंगे। इसी के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव में मऊगंज को भी एक सांसद मिल सकता है। दिल्ली में बनकर तैयार हुए संसद भवन को एक हजार सांसद चाहिए। इसके बाद मैहर के जिला बनने की संभावना है। वहां से भी एक सांसद। रीवा जिला में अब चार विधान सभा क्षेत्र होंगे। जिसमें बीजेपी को कितनी सीट मिलेगी,सवाल यह है। दो सीट कांग्रेस को और दो सीट बीजेपी को मिलने की संभावना ज्यादा है।

भूपेश का फार्मूला –

 छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पांच उपचुनाव जीते। क्यों कि उन्होंने पांच जिले बनाए। जिला बनाने की घोषणा से राजनीति अपनी करवट बदल लेती है। बीजेपी को लगता है,ओबीसी,एससी और एसटी को एक हजार रुपए चुनाव से पहले उनके खाते में देने से पार्टी सरकार बना लेगी। दरअसल प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की लोप्रियता कुछ ज्यादा ही घट गयी है। अमितशाह और मोदी की रणनाीति के बगैर बीजेपी की सरकार बनती नहीं दिख रही है। बीजेपी में अभी संशय है कि चुनाव किसके नेतृत्व में पार्टी लड़ेगी। बीजेपी के पास शिवराज से बड़ा ओबीसी का नेता नहीं है। लेकिन इस बार ओबीसी को वोटर खिसका है। नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम यही बताते हैं।

बहरहाल मऊगंज जिला बनने से विंध्य में और भी तहसीलें जिला बनने का शोर करेंगी। इससे बीजेपी का कमल कितना खिलता है,शिवराज भी नहीं जानते। मगर,उनका इरादा बीजेपी के मजबूत वापसी करने का है। वहीं पार्टी का आंतरिक सर्वे बता रहा है कि बीजेपी को बहुत नुकसान है ।

Sanjay Vishwakarma

संजय विश्वकर्मा (Sanjay Vishwakarma) 41 वर्ष के हैं। वर्तमान में देश के जाने माने मीडिया संस्थान में सेवा दे रहे हैं। उनसे servicesinsight@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। वह वाइल्ड लाइफ,बिजनेस और पॉलिटिकल में लम्बे दशकों का अनुभव रखते हैं। वह उमरिया, मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने Dr. C.V. Raman University जर्नलिज्म और मास कम्यूनिकेशन में BJMC की डिग्री ली है।

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