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Bandhavgarh Tiger Reserve : बांधवगढ़ के उस काले अध्याय को नही दोहराना चाहता पार्क प्रबंधन उठाया यह बड़ा कदम

Bandhavgarh Tiger Reserve: वैसे तो बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व अपनी अधिक बाघों की संख्या के लिए पूरे विश्व भर के वन्यजीव प्रेमियों के मानसपटल पर अपनी एक अलग छवि रखता हैं लेकिन वर्ष में बांधवगढ़ में लगी आग ने पूरे विश्व भर के वन्यजीव प्रेमियों के माथे में चिंता की लकीर खीच दी थी. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था की जंगल की अकूत संपदा के साथ साथ कई वन्यजीव भी आग की लपटों का शिकार हो गए थे. लेकिन पुराने हादसों से सीख लेकर इस वर्ष बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व प्रबंधन समय रहते मुस्तैद हो चुका हैं ताकि ऐसा कोई हादसा न हो जिससे वन्यजीवों सहित वन संपदा को कोई नुकसान पहुंचे.

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2 वर्ष पूर्व जब जल उठा था बांधवगढ़ 

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क्या हैं बांधवगढ़ का काला अध्याय

बीते २ वर्ष पूर्व बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली, मगधी और ताला जोन जंगल में महुआ बीनने जाने वालों की लापरवाही से आज की जद में आ गए थे जिससे अकूत वन संपदा के साथ साथ कई वन्यजीव भी आग की चपेट में आ गए थे.

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अग्नि नियंत्रण हेतु मॉकड्रिल

दो दिवसीय कार्यशाला का हुआ आयोजन

गर्मी के मौसम में जंगल में आग लगना आम बात है। लेकिन जब जंगल सुलगता है, तो आग का रास्ता रोकना मुश्किल हो जाता है। लेकिन समय रहते उठाए गए कदम से आग में काबू पाया जा सकता है.इसी उद्देश्य को लेकर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व उमरिया के  मगधी एवं पतौर में दिनांक 27/02/2023 एवं 28/02/2023 तक दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया था जिसमे अग्नि सुरक्षा विद्युत लाइन गस्ती को लेकर विस्तृत परिचर्चा की गई. कार्यशाला में इस विषय पर भी विस्तृत चर्चा हुई की आधुनिक उपकरणों यथा लीफ ब्लोवर, पारंपरिक उपकरणों, पानी टैंकर का उपयोग कर कैसे आग को प्रभावी ढंग से अग्नि नियंत्रण किए जाए.

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अग्नि नियंत्रण हेतु की गई मॉकड्रिल

परिक्षेत्र अधिकारियों के द्वारा उनके परिक्षेत्रों  में अग्नि नियंत्रण हेतु किए जा रहे कार्यों जैसे अग्निरोधक पट्टी को कटाई एवं जलाई अग्निशामक दलों का गठन आदि के संबंध में अवगत कराया गया। उपस्थित कर्मचारियों द्वारा पूर्व वर्षों में लगी आग एवं उनके नियंत्रण में हुई कठिनाइयों में प्रकाश डाला गया, क्षेत्र संचालक एवं उप संचालक द्वारा सभी को विकास समितियों की बैठक आगामी एक सप्ताह के अंदर कर अग्नि सुरक्षा के प्रति ग्रामीणों को जागरूक करने एवं प्रचार प्रसार करने के विषय में निर्देशित किया। इसके पश्चात अग्नि नियंत्रण हेतु मॉकड्रिल की गई जिसमे लीक ब्लोवर पारंपरिक अग्नि नियंत्रण उपकरण एवं पानी टैंकर का उपयोग किया गया।

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Artical by Aditya
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Sanjay Vishwakarma

संजय विश्वकर्मा (Sanjay Vishwakarma) 41 वर्ष के हैं। वर्तमान में देश के जाने माने मीडिया संस्थान में सेवा दे रहे हैं। उनसे servicesinsight@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है। वह वाइल्ड लाइफ,बिजनेस और पॉलिटिकल में लम्बे दशकों का अनुभव रखते हैं। वह उमरिया, मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने Dr. C.V. Raman University जर्नलिज्म और मास कम्यूनिकेशन में BJMC की डिग्री ली है।

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