100 साल पुराने पुस्तकालय के प्रभारी ने आचार्य रजनीश को लेकर किए चौकाने वाले खुलासे
विश्व प्रसिद्ध दार्शनिक ओशो रजनीश की जन्म स्थली कहे जाने वाले नरसिंहपुर के गाडरवारा में स्वतंत्रता के पहले बने इस पुस्तकालय में आज भी मौजूद हैं ऐसी दर्जनों पुस्तक जिसमें ओशो के हस्ताक्षर किए हुए मिलते हैं जी हां गाडरवारा में स्थित यह पुस्तकालय का निर्माण सन 1914 में हुआ था जो अब विश्व प्रसिद्ध हो चुका है।
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पढ़ी गई किताब में कर देते थे हस्ताक्षर
इसको जानने वाले लोग बताते हैं कि विश्व का यही एक मात्र ऐसा पुस्तकालय है यहां पर दर्जनों की संख्या में ऐसी पुस्तक मौजूद हैं जिसको ओशो ने पढ़ा और ज्ञान अर्जित किया इतना ही नहीं ओशो रजनीश की खास आदत यह भी थी कि वह जिस पुस्तक को पढ़ते थे उसमें वह हस्ताक्षर कर देते थे और उनके हस्ताक्षर किए हुए दर्जनों की संख्या में इस पुस्तकालय में पुस्तक मौजूद है।
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किताबो का दर्शन करने आते है ओशो प्रेमी
इन पुस्तकों को पढ़ने के लिए कई ओशो प्रेमी यहां आते हैं और अपने आप को भाग्यशाली समझते हैं इतना ही नहीं विदेशों से भी ओशो के अनुआई इस पुस्तकालय में आ चुके हैं और ओशो के हस्ताक्षर किए हुए पुस्तकों को चूमते हुए अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं।
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रजिस्टर में दस्तखत है मौजूद
इतना ही नहीं इस पुस्तकालय में वह रजिस्टर भी मौजूद है जिसमें ओशो के दस्तखत मिलते हैं और यह रिकॉर्ड भी मिलता है कि इस पुस्तकालय में ओशो आयदिन आते थे और इन पुस्तकों से वह अध्ययन करते थे ओशो रजनीश की जन्मस्थली के नाम से मशहूर गाडरवारा शहर के बीचो-बीच स्थित यह पुस्तकालय भी ओशो की यादों से जुड़ा होने के कारण बेहद मशहूर है।
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एक दिन में पढ़ते थे 3 किताब
वही चर्चा के दौरान अनिल गुप्ता उपाध्यक्ष सार्वजनिक पुस्तकालय गाडरवारा ने चौकाने वाले खुलासे किए उन्होंने बताया कि रजनीश ओशो इतने मेधावी थे कि एक साथ वो तीन-तीन पुस्तके ले जाते थे और दूसरे दिन वापस कर पुनः तीन पुस्तके ले जाते थे आमतौर पर लोग एक पुस्तक पढ़ने में महीनों लगा देते थे लेकिन रजनीश ओशो बचपन से ही तेजस्वी थे। यही नही पुस्तकालय में आज भी वह रजिस्टर मौजूद है जिन्हें वो इशू करवाकर पढा करते थे और आज भी रजिस्ट्रेशन में उनके हस्ताक्षर मौजूद है।
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