Bandhavgarh : जब कोई अपराध घटित होता हैं तो बाकायदा उस अपराध की विवेचना के लिए जाँच अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं और विवेचना उपरांत जाँच की आँच अपरधियों तक पहुँचती हैं और अपराधी अधिकतर मामलों में सलाखों के पीछे पहुँच जाते हैं लेकिन बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व क्षेत्र में आज से लगभग 12 वर्ष पूर्व मशहूर बाघिन की हत्या के मामले में जाँच में जुटे अधिकारीयों को ही जेल की सजा सुना दी गई,पढ़िए क्या है पूरा मामला
क्या हैं पूरा मामला :
दरअसल बांधवगढ़ टाइगर रिसर्व के झोरझोरा क्षेत्र में झुरझुरा वाली बाघिन की मौत बात 12 वर्ष पूर्व 19 मई 2010 के दिन संदिग्ध परिस्थियों में हो गई थी,झुरझुरा वाली बाघिन के सिर में चोट के अलावा तीन पसलिया भी टूट गई थी,यह चोट किसी वाहन से लगना प्रतीत हुई थी.बाघिन की मौत के बाद इस मामले में मनगढ़ंत तरीके से तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ एवं वर्तमान कलेक्टर शिवपुरी अक्षय कुमार सिंह,तत्कालीन जनपद सीइओ मानपुर के के पाण्डेय सहित तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ एवं वर्तमान कलेक्टर शिवपुरी अक्षय कुमार सिंह के ड्राईवर और तत्कालीन ताला रेंजर ललित पाण्डेय और ललित पाण्डेय के ड्राईवर मान सिंह को आरोपी बनाया गया था.
एसटीएफ को दी गई जाँच की कमान :
मामला तूल पकड़ने पर झुरझुरा वाली बाघिन की मौत के मामले की जाँच एस टी एफ को सौप दी गई,उक्त मामले में तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर और वर्तमान में प्रधान मुख्य वन संरक्षक शाखा संरक्षण भोपाल सीके पाटिल,SDO डीसी घोरमरे,रेंजर त्रिपाठी और रेंजर रेगी राव पर ड्राईवर मान सिंह ने आरोप लगाए की उस पर उक्त अधिकारीयों के द्वारा दवाव बनाया जा रहा है की वह कोर्ट में गवाही दे की जिन्हें आरोपी बनाया गया हैं उन्ही की गाड़ियों से बाघिन की हत्या हुई है,यहाँ तक की ड्राईवर मान सिंह ने यह भी आरोप लगाया की उसे गैरकानूनी तरीके से बंदी बनाकर कई दिनों तक उसे एकांत में रखकर उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित भी किया गया है,बताया जा रहा हैं की उक्त मामले में ड्राईवर मान सिंह सहित तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ एवं वर्तमान कलेक्टर शिवपुरी अक्षय कुमार सिंह के ड्राईवर का नार्को टेस्ट भी गुजरात में कराया गया था.
जाँच अधिकारीयों के खिलाफ कोर्ट में परिवाद हुआ दाखिल :
बांधवगढ़ टाइगर रिसर्व के झोरझोरा क्षेत्र में झुरझुरा वाली बाघिन की मौत बात की जाँच में एक नया मोड़ आ गया अब बाघिन की मौत की जाँच में जुटे अधिकारीयों की कार्य जाँच प्रणाली ही शंका के घेरे में आई गई, तत्कालीन रेंजर के ड्राईवर मान सिंह ने कोर्ट में परिवाद पेश करते हुए जाँच कमेटी पर आरोप लगाया की उसे गैरकानूनी तरीके से बंदी बनाया गया हैं और उसे झूठी गवाही देने के लिए प्रताड़ित भी किया जा रहा है,कोर्ट ने पीड़ित पक्ष के तर्कों को सुनकर परिवाद स्वीकार कर लिया और धारा 195 (A) और 342 के तहत मामला पंजीबद्ध किया और बीते 10 साल से मामले की सुनवाई चल रही थी.
कोर्ट ने पीसीसीएफ सहित अन्य को सुनाई सजा :
उक्त मामले में तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर और वर्तमान में प्रधान मुख्य वन संरक्षक शाखा संरक्षण भोपाल सीके पाटिल को ०३साल की सजा और 5000 का जुर्माना गलाया साथ ही SDO घोरमरे,रेंजर त्रिपाठी,और रेंजर रेगी राव को 6-6 माह का कारावास और 500-500 का जुर्माना गलाया गया है.
झुरझुरा वाली बाघिन के हत्यारे हैं कौन :
मामले का स्याह पक्ष यह है की जाँच अधिकारीयों के द्वारा गैरकानूनी तरीके से जाँच को आगे बढ़ाने का नतीजा ये हुआ की जाँच टीम खुद जाँच के मामले में आरोपी बन गई लेकिन असल वजह जिसको लेकर जद्दोजहद हो रही हैं उस मामले का खुलाशा आज तक नही हो पाया,बांधवगढ़ की मशहूर बाघिन के हत्यारों तक आज भी कानून के हाथ नही पहुँच पाए.
बीते कुछ वर्षों में बांधवगढ़ में बाघों की मौत का आकड़ा भी काफी चिन्ताजनक है.
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